कोरोना वायरस कहां से आया, कब आया और कैसे आया। इन सवालों का जब भी जिक्र होता है तो नजर चीन पर जाकर टिकती है। लेकिन अपनी सबूतों की इमारतों पर चीन इस बात को झूठला देता है या पीछे हट जाता है। कोरोना को लेकर चीन से जुड़े खुलासे लगातार सामने आते रहे। लेकिन अब चीन को लेकर एक नया दावा सामने आया है। कहा जा रहा है कि कोरोना के नए स्ट्रेन को फैलाने के लिए चूहों का प्रयोग कर रहा है। प्री-पीयर समीक्षा जर्नल लेखों के डेटाबेस पर आई एक रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए, तो चीन एक नए घातक कोविड जैसे वायरस पर काम कर रहा है। ये चूहों के लिए 100 प्रतिशत घातक है और मनुष्यों को प्रभावित कर सकता है।
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3 जनवरी को बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रकाशित पेपर में दावा किया गया कि चीनी सेना द्वारा प्रशिक्षित डॉक्टरों ने तथाकथित पैंगोलिन कोरोना वायरस का अपना वर्जन तैयार किया है और चूहों पर इसका परीक्षण भी किया है। पेपर में कहा गया है कि चार चूहों को निष्क्रिय वायरस का टीका लगाया गया और चार नकली-संक्रमित चूहों को नियंत्रण के रूप में इस्तेमाल किया गया। हैरानी की बात यह है कि जीवित वायरस से संक्रमित सभी चूहे टीकाकरण के 7-8 दिनों के भीतर संक्रमण का शिकार हो गए।
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विशेषज्ञों ने पाया कि जिन चार चूहों को वायरस दिया गया, संक्रमित होने के बाद पांच दिनों के भीतर उनका वजन कम हो गया। सातवें दिन चूहे सुस्त होने लगे और उनकी आंखें सफेद हो गईं। जीवित वायरस से संक्रमित चूहों में फेफड़ों में वायरल लोड छठे दिन तक काफी कम हो गया। इसके साथ ही चूहों की मौत के आखिरी दो दिन पहले मस्तिष्क में वायरस का असर ज्यादा था। पेपर में आगे कहा गया कि इस खोज से पता चला संक्रमण के बाद के चरणों के दौरान गंभीर मस्तिष्क संक्रमण इन चूहों में मृत्यु का प्रमुख कारण हो सकता है।