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बिहार में सियासी घमासान एक बार फिर से जारी है। लोकसभा चुनाव से पहले ही एक बार फिर बिहार में राजनीतिक उथल पुथल देखने को मिल सकती है। बिहार में सियासी घमासान की एक औरत तस्वीर सामने आई है जो कि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिखाई दी है। इस तस्वीर से साफ हो गया है कि जेडीयू और राजद दोनों दलों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं है।
इस तस्वीर से अटकलें लगाई जा रही है कि दोनों पार्टियों के बीच काफी अधिक दूरियां आ गई है। गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित हुए समारोह के दौरान नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच साफ तौर पर दूरियां दिखाई दी है। दरअसल गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बैठने के लिए मंच पर कुर्सियां लगाई गई। हालांकि दोनों की कुर्सियों के बीच में काफी फासला रहा। इस कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव अपनी पार्टी के नेता और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के साथ बैठे दिखाई दिए।
जानकारी के मुताबिक जेडीयू और राजद दोनों के सर्वोच्च नेताओं के बीच एक कुर्सी खाली रही। दोनों नेताओं के बीच कुर्सी का इस तरह खाली रहना चर्चाओं का विषय बन गया है। दरअसल आमतौर पर दोनों नेता मंच पर साथ बैठे और बातचीत करते दिखाई देते मगर गणतंत्र दिवस से समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। दोनों नेताओं के बीच इस दूरी के कारण बिहार में राजनीतिक संकट की चर्चा होने लगी है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार दोपहर में कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं। दोनों नेताओं के बीच इस दूरी को देखते हुए क्या याद लगाया जा रही है कि इसकी गूंज बिहार से दिल्ली तक सुनाई दे रही है।
इस राजनीतिक हलचल के बीच जेडीयू ने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। इसी कड़ी में 28 जनवरी को पटना के मिलर्सचूल ग्राउंड में आयोजित होने वाली महाराणा प्रताप रैली को भी रद्द किया गया है। इस कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हिस्सा लेना था। रैली रद्द किए जाने के बाद जेडीए के सभी विधायकों को 26 जनवरी की शाम तक पटना पहुंचने के निर्देश भी दिए हैं।
28 जनवरी को फिर ले सकते हैं शपथ
बिहार में सियासी घमासान के बीच सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार अगली बार एनडीए के साथ सरकार बनाने जा रहे है। राजद के साथ जारी तनाव के बीच यह माना जा रहा है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इस दौरान सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री का पद सौंपा जा सकता है।