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लखनऊ। लखनऊ जिला कारागार में इस समय 63 बंदी एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) से संक्रमित हैं, जिनका उपचार कराया जा रहा है। जेल प्रशासन ने सोमवार को यह जानकारी दी। कारागार महानिदेशक (डीजी जेल) एसएन साबत ने बताया कि विगत पांच वर्षों में एचआईवी के संक्रमण से किसी भी बंदी की मृत्यु जिला कारागार लखनऊ में नहीं हुई है। साबत ने बताया कि उप्र की सभी जेलों में एचआईवी संक्रमितों का पता लगाने के लिए समय-समय पर जांच की जाती है। उन्होंने दावा किया कि लखनऊ की जेल में आने के बाद एक भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित नहीं हुआ है और कैदी पहले से ही संक्रमित थे।
साबत ने कहा कि अधिकांश संक्रमित बंदी एक-दूसरे से सीरिंज साझा करके मादक पदार्थ लेने के कारण संक्रमित हुए हैं। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि एक जनवरी, 2023 को जिला कारागार लखनऊ में निरुद्ध बंदियों में से कुल 47 बंदी एचआईवी संक्रमित थे। माह सितंबर 2023 से एचआईवी जांच किट उपलब्ध न होने के कारण तीन दिसंबर 2023 तक एचआईवी की जांच जिला कारागार में संभव नहीं थी। तीन दिसंबर को आयोजित कैंप में जब बंदियों की एचआईवी जांच कराई गई तो उनमें से 36 बंदी एचआईवी संक्रमित मिले।
पूर्व में एचआईवी से ग्रसित बंदियों में से 20 20 बंदी रिहा हो चुके हैं और वर्तमान में कुल 63 बंदी एचआईवी से ग्रस्त हैं जिनका उपचार जारी है। जिला कारागार के जेलर रितिक प्रियदर्शी ने बताया कि कारागार में आने के बाद से कोई बंदी एचआईवी से संक्रमित नहीं हुआ है। सभी बंदियों का एचआईवी केंद्र से नियमित रूप से उपचार कराया जा रहा है। प्रियदर्शी ने बताया कि इन सभी संक्रमितों का किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और एआरपी सेंटर में उपचार कराया जा रहा है।