कतर से पूर्व भारतीय नौसैनिकी की वतन वापसी को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। पहले फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हुई। फिर सीधे रिहाई मिल गई। जिसके बारे में खुद नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों को भी खबर नहीं थी। किसी दूसरे देश में फांसी की सजा से बचाकर अपने पूर्व नौसैनिकों को बचाकर अपने देश वापस लाना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है। इसे सुनिश्चित करने वाले कोई और नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीएम मोदी के कतर के अमीर के साथ व्यक्तिगत संबध इस कूटनीतिक जीत के पीछे के बड़ी वजह है।
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जयशंकर ने संभाला कूटनीतिक मोर्चा
जहां कूटनीतिक मोर्चा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संभाला तो वहीं पूर्व नौसैनिकों की रिहाई से संबंधित नाजुक बातचीत पीएम मोदी की सलाह पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने की। एनएसए डोभाल ने इस दौरान कतर की राजधानी दोहा की कई गुप्त यात्राएं की जिससे की कतर के शासक इस पक्ष को समझ पाएं। हालांकि आठ पूर्व नौसैनिकों में से एक अभी कतर से वापस लौटकर नहीं आ पाए हैं। उनके घरवालों ने उनकी रिहाई की पुष्टि करते हुए कहा कि वो पूरी तरह सुरक्षित हैं और जल्द ही भारत लौटेंगे।
डोभाल की साइलेंट डिप्लोमेसी
एक तरफ कतर में पूर्व नौसैनिकों पर मुकदमा चल रहा था तो वहीं दूसरी तरफ मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार अपनी कूटनीति पर काम कर रही थी। इसी कूटनीति के तहत अगस्त 2023 में खाड़ी देशों की अच्छी समझ रखने वाले विपुल को कतर में राजदूत बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सारे निर्देश पीएमओ की तरफ से दिए गए। इसके साथ ही सरकार ने कतर में कानूनी मामले देख रही कंपनी को बदल दिया। साइलेंट डिफलोमेसी के तहत एनएसए डोभाल और भारतीय वार्ताकारों ने कतर के अमीर के करीबियों से संपर्क किया।
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78 अरब डॉलर की गैस डील
कतर में मिले भारतीय पूर्व नौसैनिकों की फांसी को वहां के अमीर ही बदल सकने की क्षमता रखते थे। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर की सीधी मुलाकात की रणनीति बनाई गई। दुबई में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की 1 दिसंबर 2023 को बातचीत हुई। वहीं दूसरी तरफ ईडी ने टैक्स मामले से जुड़े नोटिस कतर एयरबेस को दिए। कतर एयरबेस को अप्रैल 2020 से सितंबर 2023 तक 57 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का नोटिस दिया गया। इतना ही नहीं गोवा में 17 देशों के साथ एनर्जी वीक वाली बैठक में भारत ने कतर के साथ 78 अरब डॉलर की गैस डील की। इस समझौते के तहत भारत साल 2048 तक कतर से लीक्वीफाइड नैचुरल गैस खरीदेगा।