27 फरवरी को राज्यसभा के लिए चुनाव होने हैं जिसको लेकर प्रत्याशियों का ऐलान अलग-अलग पार्टियों की तरफ से किया जा रहा है। 15 फरवरी को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। इससे पहले बीजेपी की तरफ से पहली लिस्ट जारी कर दी गई थी। आज बीजेपी की तरफ से पांच उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से चार उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया। जिसमें राजस्थान से सोनिया गांधी को टिकट दिया गया है। इस ऐलान के साथ ही सोनिया गांधी जयपुर पहुंची और अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। सोनिया गांधी के साथ इस मौके पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो चली है कि आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी की सबसे मजबूत और कद्दावर नेता लोकसभा का चुनाव न लड़कर राज्यसभा के रास्ते संसद की राह सुनिश्चित कर रही हैं।
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रायबरेली की सीट अगली पीढ़ी को ट्रांसफर
कहा गया कि सोनिया गांधी सेहत से जुड़े कारणों की वजह से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगीं। सोनिया गांधी से ज्यादा उम्र के लोग चुनाव लड़ते हैं और जीतते भी हैं। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर सोनिया ने आम चुनाव 2024 में उतरने के फैसले से किनारा कर लिया। हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि रायबरेली की उनकी पारंपरिक सीट अगली पीढ़ी यानी प्रियंका गांधी को दी जा सकती है। खुद वो इसलिए राज्यसभा जा रही हैं।
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10 जनपथ बचाओ अभियान
10 जनपथ में सोनिया गांधी लगभग 35 सालों से रहती आ रही हैं। राजीव गांधी साल 1989 में बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में 10 जनपथ आए थे। सोनिया तभी से यहां रह रही हैं। 2019 के बाद अपने स्वास्थ्य और कई अन्य कारणों से सोनिया अपने रायबरेली लोकसभा क्षेत्र की उतनी देखभाल नहीं कर पाईं, जितनी वह चाहती थीं। प्रियंका गांधी के 2024 में चुनाव लड़ने या रायबरेली जीतने की संभावना से 10, जनपथ को बरकरार रखने का मुद्दा हल नहीं होगा। पहली बार सांसद बनने के बाद प्रियंका 10 जनपथ पाने की हकदार नहीं होंगी। ये भी सोनिया के राज्यसभा जाने की बड़ी वजह हो सकती है।
सबसे प्रीमियर बंगलों में शुमार 10 जनपथ
ये टाइप-8 बंगला है। ये दिल्ली में मौजूद सरकारी बंगलों की सबसे हाई कैटेगरी है। ये कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, पूर्व प्रधानमंत्री जैसे वरिष्ठ पदों को आवंटित होता है। इसका कुल एरिया 15,181 वर्ग मीटर है, जबकि पीएम मोदी का सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग कुल 14,101 वर्ग मीटर में ही बना है। इससे बड़ा सिर्फ राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति निवास है। इस बंगले में 5 बेडरूम, 1 हॉल, एक बड़ा डॉयनिंग रूम, 1 स्टडी रूम, कैंपस में बैठने की जगह, गार्डन और पीछे की तरफ सर्वेंट क्वार्टर है।
वो भूत इस भूत को देखेगा, तो वो भाग जाएगा
दिलचस्प बात यह है कि 1989 में राजीव गांधी को लुटियंस दिल्ली के बंगलों की देखभाल करने वाले केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों ने वहां न जाने की सलाह दी थी। प्रतिभाशाली राजनेता ने यह कहते हुए इसे हंसी में उड़ा दिया था: “जब वो भूत इस भूत को देखेगा, तो वो भाग जाएगा।” 10 जनपथ को लेकर कई तरह के अंधविश्वास थे. ऐसा कहा जाता था कि अंदर दो कब्रें थीं। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे संजय गांधी के लिए दुर्भाग्य लाने वाला घर माना जाता था।
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10 जनपथ में सबसे पहले रहे माटी के लाल
1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ। इसके बाद उनके आवास त्रिमूर्ति भवन को कांग्रेस ने नेहरू मेमोरियल बनाने का फैसला किया। ऐसे में सवा उठा कि नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कहां रहेंगे। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री को 10 जनपथ आवंदित किया गया। यहां वो अपने परिवार के साथ रहने लगे। लेकिन यहां शिफ्ट होने के दो साल के बाद ताशकंद में शास्त्री जी की मृत्यु हो गई।
क्या वाकई राजीव ने देखें खून के छीटें
10, जनपथ 1975 के आपातकाल के दौरान भारतीय युवा कांग्रेस का कार्यालय हुआ करता था जब अंबिका सोनी इसकी अध्यक्ष थीं और संजय गांधी इसके संरक्षक थे। 1977 की हार की गंभीरता बहुत बड़ी थी। राजेंद्र प्रसाद रोड पर कई वर्षों के बाद युवा कांग्रेस का कार्यालय बंद कर खोला गया। अफवाहें हैं कि जब राजीव गांधी 1989 में 10, जनपथ में गए, तो उन्होंने कुछ क्षेत्रों में खून के निशान देखे। 1977 और 1989 के बीच, भारतीय प्रेस परिषद का कार्यालय था लेकिन उसे बाहर जाना पड़ा। बक्सर के एक मुखर कांग्रेस नेता केके तिवारी वहां रहे और राजीव गांधी को घर आवंटित होने के बाद चले गए।
राजस्थान को चुनने के पीछे की वजह?
कांग्रेस में इस बात पर चर्चा हुई कि कौन सा राज्य चुना जाए। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस इकाई ने पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से राज्यसभा में राज्य का प्रतिनिधित्व करने की अपील की थी। इसी तरह, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पिछले हफ्ते सोनिया गांधी से राज्य की खम्मम सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। मध्य प्रदेश था, कर्नाटक और तेलंगाना ने भी कहा था। लेकिन राजस्थान चुनने के पीछे ये रणनीति है कि कांग्रेस ये कतई नहीं चाहेगी की 25 सीटों वाली हैट्रिक एक बार फिर बीजेपी लोकसभा चुनावों में लगाए। उन्हें लगता है कि सोनिया गांधी जैसी नेता अगर राजस्थान से राज्यसभा जाती हैं तो नेताओं को खासकर दो बड़े नेताओं के बीच की खिंचतान प्रदेश से लगातार देखने को मिलती है उन्हें एक बड़ा संदेश जाएगा। कहा जा रहा है कि इसका असर राजस्थान के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।