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चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। अध्यक्ष ने इस पर बहस के लिए बृहस्पतिवार का दिन तय किया है। गुप्ता ने नियम के तहत 18 से अधिक विधायकों की शर्त पूरी होने के बाद यह अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया। हाल में विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खट्टर सरकार पर सभी मोर्चों पर विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव लायेगी।
कांग्रेस तीन साल पहले भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायी थी लेकिन तब यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल में पिछले अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया था और कहा था कि उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी थी कि उसे हर सत्र में ऐसा प्रस्ताव लाना चाहिए ताकि वह उनकी सरकार द्वारा किये गये कामकाज के बारे में सुन सके। उन्होंने कहा था कि अन्यथा वे बिना सुने बोलते रहते हैं।
खट्टर ने कहा था कि यदि कांग्रेस फिर अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो वह सरकार द्वारा किये गये कामकाज के बारे में सुनने के लिए बाध्य होगी। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 41 तथा उसके सहयोगी दल जेजेपी के 10 विधायक हैं। सदन में सात निर्दलीय विधायकों में छह भाजपा का समर्थन करते हैं। भाजपा को हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा का समर्थन भी प्राप्त है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं जबकि इंडियन नेशनल लोकदल का एक विधायक है।