कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र के उस निर्देश को रद्द कर दिया, जिसमें पशुपालन मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा खतरनाक समझे गए कुत्तों की कुछ नस्लों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि खतरनाक कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगाने वाला परिपत्र जारी करने से पहले पालतू जानवरों के मालिकों और संबंधित संगठनों से परामर्श किया जाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अगर पालतू जानवर किसी को घायल करते हैं तो पालतू जानवर के मालिक जिम्मेदार होंगे और उन्हें ही खर्च का भुगतान करना होगा। 13 मार्च को एक परिपत्र में पशुपालन मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि पिट बुल और अन्य नस्लों की बिक्री, प्रजनन और रखने के लिए कोई लाइसेंस या अनुमति जारी नहीं की जाए जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं। केंद्र का यह निर्देश कुत्तों द्वारा घातक हमलों की कई घटनाओं के मद्देनजर आया है।
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जिन नस्लों को खतरनाक प्रमाणित किया गया उनमें पिटबुल टेरियर, टोसा इनु, अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलीरो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबोएल, कांगल, मध्य एशियाई शीपडॉग, कोकेशियान शेफर्ड डॉग, दक्षिण रूसी शेफर्ड डॉग, टॉर्नजैक, सरप्लानिनैक, जापानी शामिल हैं। टोसा और अकिता, मास्टिफ़ (बोअरबेल), रॉटवीलर, टेरियर्स, रोड्सियन रिजबैक, वुल्फ डॉग्स, कैनारियो, अकबाश, मॉस्को गार्ड डॉग, केन कोरसो और हर प्रकार के कुत्ते जिन्हें आमतौर पर बैन डॉग या बैंडोग के नाम से जाना जाता है।