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हैदराबाद। पुलिस ने फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार एक पूर्व पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) पर अब एक व्यवसायी की शिकायत के आधार पर अपहरण और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि 2018 में उसका अपहरण हुआ था और तब उसे धमकी देकर अपनी कंपनी अपने बिजनेस पार्टनर को सौंपने को कहा गया था। आठ अप्रैल को दर्ज कराई गयी एक पुलिस शिकायत में, एक स्वास्थ्य सेवा कंपनी की स्थापना करने वाले व्यवसायी ने कहा था कि उसके अपहरण के लिए कंपनी के चार अंशकालिक निदेशकों और हैदराबाद पुलिस की एक शाखा ‘कमिश्नर टास्क फोर्स’ के पूर्व डीसीपी राधा किशन राव के साथ मिलीभगत हुई थी।
शिकायत में कहा गया है कि तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन पर अपनी कंपनी के 100 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर चार निदेशकों को हस्तांतरित करने के लिए दबाव डाला था। पूर्व डीसीपी को फोन टैपिंग मामले की चल रही जांच के तहत और कथित तौर पर कुछ कंप्यूटर सिस्टम एवं आधिकारिक डेटा नष्ट करने के आरोप में 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। व्यवसायी की शिकायत के आधार पर, जुबली हिल्स पुलिस स्टेशन में पूर्व डीसीपी, दो पुलिसकर्मियों, चार निदेशकों और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 365 (अपहरण), 386 (जबरन वसूली), 341 (गलत तरीके से रोकना) और धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है। प्राथमिकी के अनुसार, हेल्थकेयर कंपनी के चार अंशकालिक निदेशकों ने कंपनी में व्यवसायी की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी कम कीमत पर उन्हें (निदेशकों को) बेचने का दबाव डाला। शिकायतकर्ता ने कहा कि राव की गिरफ्तारी के बाद ही उसने हैदराबाद शहर पुलिस को इस घटना की सूचना दी और उनसे इन मामलों की गहन जांच करने का आग्रह किया।