चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्लेन ने फ्रांस की धरती पर लैंड किया और नीचे रेड कॉर्पेट बिछा नजर आया। लेकिन रेड कॉर्पेट के उस पार जिस व्यक्ति का इंतजार शी जिनपिंग को था वो वहां नजर नहीं आए। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों शी जिनपिंग को लेने के लिए नहीं पहुंचे थे। उनकी जगह जिनपिंग को रिसीव करने फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल पहुंचे थे। गेब्रियल फ्रांस के सबसे पहले और सबसे यंग समलैंगिक प्रधानमंत्री हैं। हालांकि शी जिनपिंग को निश्चित तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति के आने की उम्मीद थी। लेकिन वो नाउम्मीद हो गए। फ्रांस और चीन के बीच जहां दोस्ती को नए सिरे से शुरू करने की बात हो रही है। वहीं चीनी राष्ट्रपति फ्रांस की धरती पर उतरे तो रेड कॉर्पेट बिछाकर फ्रांस ने उनका स्वागत किया। इसके बाद सड़कों पर उनका काफिला घूमता नजर आया। फ्रांस में मौजूद चीनी जनता ने उनका स्वागत किया। हाथ में फ्रांस और चीन के झंडे लिए लोग शी जिनपिंग का स्वागत कर रहे थे।
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जिनपिंग की यूरोप यात्रा का एजेंडा
शी ने कहा कि पूर्वी और पश्चिमी सभ्यताओं के महत्वपूर्ण प्रतिनिधियों के रूप में, चीन और फ्रांस का आपसी प्रशंसा और प्रशंसा का एक लंबा इतिहास है। उन्होंने यह भी कहा कि 60 साल पहले, दोनों देशों ने शीत युद्ध के गुट को तोड़ दिया और राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंध स्थापित किए, और 60 वर्षों में द्विपक्षीय संबंध हमेशा पश्चिमी देशों के साथ चीन के संबंधों के बराबर रहे हैं। शी ने बताया कि चीन-फ्रांस संबंधों के विकास से न केवल दोनों लोगों को लाभ हुआ है, बल्कि अशांत दुनिया में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा भी आई है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह नई परिस्थितियों में चीन-फ्रांस संबंधों और चीन-यूरोपीय संघ संबंधों के विकास के साथ-साथ वर्तमान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने फ्रांसीसी समकक्ष के साथ विचारों का गहन आदान-प्रदान करेंगे।
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जिनपिंग से क्या चाहते हैं मैक्रों
मैक्रों फ्रांस की दो दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान जिनपिंग पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने की दिशा में रूस को आगे बढ़ाने के लिए दबाव डालने की कोशिश करेंगे। दोनों नेताओं के इलेक्ट्रिक कारों, कॉन्यैक और सौंदर्य प्रसाधनों पर व्यापार विवादों पर भी चर्चा करने की उम्मीद है। मैक्रों के कार्यालय ने कहा कि यूक्रेन का समर्थन करने और रूस पर दबाव बनाने के लिए राजनयिक प्रयासों के बारे में बातचीत फ्रांस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। चर्चा में मध्य पूर्व, व्यापार मुद्दे और जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक चुनौतियाँ भी शामिल होंगी। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष व्यापक यूरोपीय संघ की चिंताओं को उठाने के लिए बैठकों में शामिल होंगे।
भारत का पक्का दोस्त फ्रांस
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इमैनुएल मैक्रों द्वारा आयोजित राजकीय यात्रा पर फ्रांस पहुंच चुके हैं। इसी के साथ दोनों नेता यूक्रेन से लेकर व्यापार तक के मुद्दों पर अपने विचार साझा करेंगे। फ्रांस और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने के मौके पर शी जिनपिंग के आगमन ने 2019 के बाद से उनके यूरोप के पहली यात्रा की शुरुआत की है। 2019 के बाद से जिनपिंग यूरोप के दौरे पर नहीं गए थे। अब साल 2019 के बाद वो पहली बार यूरोप पहुंचे हैं। इस यात्रा के दौरान वो सर्बिया और हंगरी का भी दौरा करेंगे। लेकिन यात्रा के लिए सबसे अहम फ्रांस माना जा रहा है। फ्रांस भारत का सबसे पक्का दोस्त है। फ्रांस और भारत के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। इमैनुएल मैक्रों और नरेंद्र मोदी की दोस्ती पूरी दुनिया ने देखी है। ये दोनों नेता जब भी मिलते हैं तो गले लगाकर एक दूसरे का स्वागत करते हैं। पिछले साल फ्रांस के सबसे बड़े आयोजन पर चीफ गेस्ट के तौर पर नरेंद्र मोदी फ्रांस पहुंचे थे। डिप्लोमेसी के लिहाज से फ्रांस हमेशा से भारत को अपनी प्राथमिकता में रखता आया है। भारत फ्रांस का सबसे भरोसेमंद साझेदार है।