नयी दिल्ली। शत्रुघ्न सिन्हा 2024 के लोकसभा आम चुनावों में पश्चिम बंगाल के आसनसोल (सामान्य) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार हैं। 2024 के संसदीय चुनावों में आसनसोल सीट से कुल सात उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। संवाद अदायगी की अपनी खास शैली के कारण हिंदी फिल्मों में अत्यंत लोकप्रिय हुए बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दौर’’ में भाजपा के स्टार प्रचारक हुआ करते थे, पर बाद में सियासी समीकरण बदल जाने के कारण उन्होंने इस पार्टी को ‘खामोश’ कहते हुए पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया।
इसे भी पढ़ें: West Bengal Lok Sabha Election Results 2024: ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी की बहुत बड़ी जीत, महुआ, शत्रुघ्न, यूसुफ पठान जीते, BJP-कांग्रेस को लगा झटका
सिन्हा ने वर्तमान लोकसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के एस एस अहलुवालिया को 59 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर आसनसोल सीट को जीता है।
सिन्हा दो बार राज्यसभा एवं तीन बार लोकसभा के सदस्य रहने के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। यद्यपि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में एक बार नयी दिल्ली लोकसभा सीट से हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार एवं कांग्रेस प्रत्याशी राजेश खन्ना और फिर पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के हाथों शिकस्त पाई थी।
सिन्हा ने अपने करीब तीन दशक के फिल्मी करियर के बाद 1992 में चुनावी राजनीति में पहली दस्तक दी थी। दरअसल, आडवाणी ने 1991 के लोकसभा चुनाव में दो सीट (गांधीनगर और नयी दिल्ली) पर जीत दर्ज की थी, किंतु उन्होंने नयी दिल्ली सीट को खाली कर दिया। इसके कारण 1992 में हुए उपचुनाव में सिन्हा भाजपा के टिकट पर उतरे, किंतु उन्हें एक दौर के सुपरस्टार एवं कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना से दो हजार से भी कम मतों से शिकस्त झेलनी पड़ी।
इसे भी पढ़ें: ‘अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी’, फैजाबाद सीट पर कैसे पिछड़ गई भाजपा, सपा के जीत के कारण क्या?
संसद सचिवालय की वेबसाइट के अनुसार, 15 जुलाई 1946 को पटना में जन्मे सिन्हा शहर के मशहूर पटना साइंस कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री लेने के बाद पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से अभिनय मे डिप्लोमा प्राप्त किया।
फिल्मी जीवन में तमाम शोहरत पाने के बाद जब सिन्हा ने राजनीति में कदम रखा तो भाजपा ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाया। माना जाता है कि वह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी थे।
सिन्हा का संसदीय जीवन 1996 से शुरू हुआ, जब वह बिहार से राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। सिन्हा 2002 में उच्च सदन के लिए पुनर्निर्वाचित हुए। वह वाजपेयी सरकार में पहले स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री (जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक) रहे। उसके बाद उन्हें (29 जनवरी से 2003 से मई 2004 तक)जहाजरानी मंत्री बनाया गया।
भाजपा ने सिन्हा की लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पटना साहिब सीट से उतारा, जिसमें उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद, उन्होंने 2014 के आम चुनाव में इसी सीट से फिर यह सफलता दोहरायी।
भाजपा में 2014 के आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक कद्दावर नेता के रूप में उभरने के बाद से सिन्हा पार्टी में धीरे-धीरे नेपथ्य में जाने लगे।
वर्ष 2019 में पटना साहिब से उनका टिकट काट दिया गया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया।
सिन्हा ने मार्च 2022 में तृणमूल कांग्रेस की राह पकड़ ली। ममता बनर्जी की पार्टी ने सिन्हा की लोकप्रियता पर दांव लगाते हुए उन्हें आसनसोल संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में उतारा।
सिन्हा ने इस उपचुनाव में भाजपा की नेता अग्निमित्रा पॉल को तीन लाख तीन हजार से अधिक मतों से हराया था। इस प्रकार सिन्हा तीसरी बार लोकसभा के सदस्य बने।
तृणमूल कांग्रेस ने वर्तमान आम चुनाव में आसनसोल से एक बार फिर सिन्हा पर ही भरोसा करके उन्हें यहां दोबारा टिकट दिया।