कांग्रेस ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक कानून लागू करने के नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के फैसले की शनिवार को आलोचना की। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कानून – सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 – कई “घोटालों” के बाद लागू किया गया था और इसे “क्षति नियंत्रण” के लिए एक कदम बताया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि 25 दिसंबर 2023 को भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को अपनी सहमति दी थी।
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रमेश ने कहा कि इन तीन दूरगामी विधेयकों को बिना उचित बहस और चर्चा के संसद से मनमाने ढंग से पारित कर दिया गया था। जब ये विधेयक पारित किए गए जा रहे थे तब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। उन्होंन कहा कि इससे पहले इन विधेयकों को देश भर के स्टेकहोल्डर्स के साथ विस्तार से बातचीत के बिना और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों (जो समिति के सदस्य थे) के लिखित और बड़े पैमाने पर असहमति से भरे नोट्स को नजरअंदाज करते हुए गृह मामलों पर स्थायी समिति के माध्यम से जबरन पारित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि तीन नए कानून 1 जुलाई 2024 से लागू होने हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की यह स्पष्ट राय है कि इन तीन कानूनों के कार्यान्वयन को टाला जाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों पर पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा और फ़िर से जांच की जा सके। समिति उन सभी कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ व्यापक एवं सार्थक ढंग से विचार-विमर्श करे जिन्हें तीन कानूनों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। उसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा में भी सदस्यों की चिंताएं सुनी जाएं।
शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को एनईईटी और यूजीसी-नेट विवाद के बीच परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति की घोषणा की। यह कदम एनईईटी-यूजी और यूजीसी नेट समेत विभिन्न शीर्ष परीक्षाओं के पेपर लीक पर विवाद के बाद आया है, जिसे इसके आयोजन के एक दिन बाद रद्द कर दिया गया था, जो एक सप्ताह से अधिक समय से जारी है। इसी को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया लिखी है।
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धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह सभी कदाचारों को समाप्त करने और “एनटीए में सुधार” की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने लिखा कि पारदर्शी, छेड़छाड़-मुक्त और शून्य-त्रुटि परीक्षा एक प्रतिबद्धता है। विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति का गठन परीक्षा प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने, सभी संभावित कदाचारों को समाप्त करने, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने और एनटीए में सुधार लाने के लिए उठाए गए कदमों की श्रृंखला में पहला है। उन्होंने कहा कि छात्र हित और उनका उज्ज्वल भविष्य सदैव हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी।