लोकसभा में विपक्ष पर तीखे हमले के एक दिन बाद आज यानी बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा को संबोधित किया। राज्यसभा की कार्यवाही 3 जुलाई को सुबह 11 बजे फिर से शुरू हुई, जबकि निचले सदन में पीएम मोदी के भाषण को लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक के सांसदों के बीच नोकझोंक के बाद लोकसभा को मंगलवार शाम अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। राज्यसभा में मोदी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। हालांकि, राज्यसभा में प्रधानमंत्री के भाषण के बीच विपक्ष ने कांग्रेस के नेतृत्व में वॉकआउट किया। मोदी के भाषण के बाद उच्च सदन में राष्ट्रगीत की धुन बजाये जाने के साथ ही सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के 264वें सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में कहा कि साठ साल बाद देश की जनता ने तीसरी बार किसी सरकार की सत्ता में वापसी कराई है जो असामान्य है। मोदी ने कहा कि हम पर एक-तिहाई सरकार होने का विपक्ष का आरोप सही है, क्योंकि अभी तो हमारी सरकार के 20 साल और होंगे और अब तक तो एक तिहाई ही हुआ है। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने दुष्प्रचार को, भ्रम की राजनीति को परास्त कर दिया और भरोसे की राजनीति पर विजय की मुहर लगाई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संविधान हमारे लिए केवल अनुच्छेदों का संकलन नहीं है, हम उसके एक-एक शब्द और भावनाओं का आदर करते हैं।
उन्होंने कहा कि देश की जनता ने हमें आदेश दिया है और हम भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व में तीसरे स्थान पर पहुंचाकर रहेंगे। विपक्ष पर वार करते हुए कहा कि कुछ लोगों को ‘ऑटो पायलट’ पर सरकार चलाने की आदत रही है, लेकिन हम परिश्रम में विश्वास रखते हैं। हम आने वाले सालों में विकास कार्यों की गति और विस्तार बढ़ाएंगे। पिछले दस साल तो हमारे लिए ‘एपेटाइजर’ रहे, ‘मेन कोर्स’ तो अब शुरू हुआ है। हम भारत में विकास का नया अध्याय गढ़ना चाहते हैं। उन्होंने बंगाल को लेकर भी विपक्ष पर वार किया। उन्होंने कहा कि अगर ये चुनाव संविधान बचाने के लिए था तो देश की जनता ने इसके लिए हमें चुना…1977 के चुनाव ने संविधान बचा लिया।
राष्ट्रपति अभिभाषण पर राज्यसभा में लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब के बीच कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। इसपर मोदी ने कहा कि जिनमें सत्य का सामना करने का साहस नहीं है, उनमें इन चर्चाओं में उठे प्रश्नों के उत्तर सुनने का साहस नहीं है। वे उच्च सदन का, उच्च सदन की गौरवशाली परंपरा का अपमान कर रहे हैं। सभापति जगदीप धनखड़ ने भी विपक्ष को खूब सुनाया।
मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई एक प्रकार से अंतिम चरण में है, आतंक के बचे हुए नेटवर्क को हम सख्ती से नेस्तनाबूद करने के लिए पूरी व्यूह रचना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि वहां 11 हजार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, 500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं और शांति की बात संभव हो रही है। भ्रष्टाचार को लेकर भी उन्होंने विपक्ष पर सीधा वार किया।
मोदी ने कहा कि विपक्ष के पास अप्राप्य दोहरे मानदंड हैं। एक तरफ तो दिल्ली में एक मंच पर बैठकर जांच एजेंसियों पर दोष मढ़ते हैं। दूसरी ओर, वे भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए रैलियां निकालते हैं। विपक्ष ‘न्याय’ की दुहाई देता है, लेकिन खुद पूरी तरह अन्याय और भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। मोदी ने कहा कि केंद्र की जांच एजेंसियों पर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसियों का सरकार दुरुपयोग कर रही है, ऐसा कहा गया है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि शराब घोटाला करे AAP, भ्रष्टाचार करे AAP, बच्चों के क्लासरूम बनाने में घोटाला करे AAP, पानी तक में घोटाला करे AAP… AAP की शिकायत करे कांग्रेस, AAP को कोर्ट तक घसीट कर ले जाए कांग्रेस और कार्रवाई हो तो गाली दें मोदी को। उन्होंने काह कि अब आपस में AAP और कांग्रेस साथी बन गए हैं। हिम्मत है तो AAP वाले कांग्रेस पार्टी से जवाब मांगे। कांग्रेस देश को बताए कि कांग्रेस ने प्रेस वार्ता करके AAP के घोटालों के इतने सारे सबूत देश के सामने रखे थे, वो सबूत सच्चे थे या झूठे थे?
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नीट-यूजी सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में विपक्ष पर कोई सकारात्मक सुझाव देने के बजाय केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में देश के युवाओं को आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों में दोषियों को ‘‘सख्त से सख्त’’ सजा दिलवाने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अपेक्षा थी कि चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्य दलीय अपेक्षाओं से ऊपर उठकर पेपर लीक के विषय पर अपनी राय रखते।