प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे पर चीन बौखला गया है। चीनी सरकार ने भारत पर निशाना साधा है। पश्चिमी मीडिया इसे हैरान करने वाला कदम बता रहा है। भारत ने अमेरिका की कठपुतली बनने की बजाए स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने पर जोर दे रहा है। चीनी सरकार ने भारत पर एक तरह से निशाना साधा है। वहीं अमेरिका भी हैरान-परेशान नजर आ रहा है। पीएम मोदी के रूस दौरे से चीन में खलबली मची हुई है। चीन ने कहा कि भारत अमेरिका के हाथों की कठपुतली है। बेहतर होगा कि भारत स्वतंत्र विदेश नीति अपनाए। कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत और रूस की मित्रता चीन को खलने लगी है।
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चीन और भारत की विदेश नीति
चीन | भारत |
हिंसा का समर्थक | शांति से समाधान |
विस्तारवादी नीति | मजबूत रिश्ते |
छल और कपट से भरे हुए कदम | विश्व कल्याण |
मौकापरस्ती | मैत्री भाव |
गुटबाजी | गुट निरपेक्षता |
स्वार्थ सिद्धि | सबका साथ |
चीन क्यों परेशान?
चीन के जितने भी मित्र राष्ट्र हैं सबके साथ उसका सीमा विवाद है। भारत उनमें से एक है। रूस भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है तो चीन को इसलिए भी सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है क्योंकि इस वक्त भारत रूस के साथ खड़ा दिखता है। इस समय उसके अमेरिका और पश्चिम के साथ भी संबंध अच्छे हैं। चीन को मिर्ची इसी बात की लग रही है। उसे लगता है कि कभी चीन ताइवान की स्थिति बनी तो भारत उस वक्त उनके खिलाफ अमेरिका का साथ देंगे। हालांकि भारत अपनी स्वतंत्र नीति के लिए जाना जाता है। चाहे वो गुटनिरपेक्षता का दौर हो। चीन को लग रहा है कि वो एक सुपरपावर बन गया है। अमेरिका इस बात को हवा भी दे रहा है।
पश्चिमी देश को क्या हो रही दिक्कत
रूस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने शनिवार को यह बात कही। पेस्कोव ने यह भी दावा किया कि पश्चिमी देश इस यात्रा को ‘‘ईर्ष्या’’ से देख रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और वह आठ एवं नौ जुलाई को मॉस्को में रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में इस उच्च स्तरीय यात्रा के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि दोनों नेता दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण समीक्षा करेंगे तथा आपसी हितों के समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।