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Bengal सरकार ने कुलपतियों की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को ‘लोकतंत्र की जीत’ करार दिया

कोलकाता । पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश को ‘लोकतंत्र की जीत’ करार दिया जिसमें कहा गया है कि कुलपतियों की नियुक्ति के लिए अदालत की ओर से गठित खोज समिति उम्मीदवारों के नाम मुख्यमंत्री को भेजेगी ना कि राज्यपाल को। दिन में इसके पहले न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने निर्देश दिया कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली समिति का गठन दो हफ्तों के अंदर किया जाएगा। पीठ ने निर्देश यह जानने के बाद दिया कि राज्य सरकार और राज्यपाल (विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति) दोनों समिति गठित करने पर राजी हैं। 
उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,‘‘लोकतंत्र की एक बार फिर जीत हुई।’’ बसु ने कहा कि इस आदेश में पीठ ने निर्देश दिया खोज सह चयन समिति हर विश्वविद्यालय के लिए तीन नाम की सिफारिश राज्य के ‘‘लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रमुख को भेजेगी’’। मंत्री ने कहा, “माननीय मुख्यमंत्री फिर कुलाधिपति को अपनी पसंद के अनुसार पैनल की सिफारिश करेंगी, किसी भी नाम के खिलाफ अपनी राय, यदि कोई हो, दर्ज करेंगी। इसके बाद कुलाधिपति विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति करेंगे।’’ 
इसी तरह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) समर्थक शिक्षाविदों के मंच ‘एजुकेशनिस्ट्स फोरम’ ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा क्षेत्र पर कुलाधिपति द्वारा थोपी गई अवैधताओं के बीच माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आज पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ललित के जरिये उचित प्रक्रिया के माध्यम से निष्पक्ष चयन के सिद्धांत की पुष्टि की है।’’ शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून, 2023 के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार के 11 विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा जारी आदेशों में कोई अवैधता नहीं थी क्योंकि वे इन संस्थानों के पदेन कुलाधिपति हैं। सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार का राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ इस बात पर विवाद है कि राज्य के विश्वविद्यालयों को कैसे चलाया जाना चाहिए।

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