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Education Policy in India Part 4 | नीट पेपर लीक पर क्या मिलेगा समाधान | Teh Tak

नई नई गठबंधन सरकार बनी ही थी। सहयोगियों को साधने और साथ लेकर चलने को तराजू पर तौला ही जा रहा था कि एक बड़ी मुश्कल आन पड़ी। रेलवे मंत्रालय अपने हिस्से की आलोचना झेल ही रहा था कि दूसरे मंत्रालय का नंबर आ गया। कहा जाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन ये और बात है कि शिक्षा का स्वरूप और उसका क्रियान्वयन राजनीति ही तय करती है। 05 मई को नीट यूजी पेपर लीक हो गया था। पेपर लीक होने से स्टूडेंट्स को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। उनकी साल-दो साल की मेहनत पर पानी फिर जाता है। नीट पेपर लीक स्कैम में भी यही हुआ। नीट यूजी पेपर लीक स्कैम ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। 
क्या है मामला 
18 जून को हुई नेट जेआरएफ की परीक्षा इम्तिहान के 24 घंटे के बाद ही रद्द कर दी गई। उसका पेपर लीक हो गया और 9 लाख छात्र इससे प्रभावित हुई। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में नीट की परीक्षा ली जाती है। 4 जून को नीट का रिजल्ट आने के बाद से काफी बवाल हो रहा है। 1500 से ज्यादा छात्रों के रिटेस्ट के आदेश दिए गए। लेकिन इसके बाद मामला बड़ा हो गया और पेपर लीक व सेंटर पर नकल से जुड़े आरोप और शुरुआती सबूत सामने आने लगे। 24 लाख छात्रों ने ये परीक्षा दी थी। दोनों परीक्षाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने आयोजित करवाई थी। ये शिक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। देश में सेंट्रलाइज एग्जाम कराने के लिए ही ये एजेंसी 2017 में बनाई गई थी। 
सीबीआई की एंट्री 
23 जून को सीबीआई ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद एफआईआर दर्ज की और राज्यों में टीमें भेजीं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक संदर्भ के बाद, सीबीआई ने NEET-UG में कथित अनियमितताओं के संबंध में आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज की। पेपर लीक मामले में केंद्रीय एजेंसी सीबीआई की एंट्रो हो चुकी है। खुद सीबीआई ने इस बात की जानकारी देते हुए एक नोट जारी किया है। इसमें लिखा है कि शिक्षा मंत्रालय के निदेशक से हमें लिखित शिकायत मिली है। जिस पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई ने क्रिमिनल केस दर्ज कर लिया है। 
पेपर लीक पर सियासत हुई तेज 
एनईईटी-यूजी परीक्षा ‘लीक’ भी एक राजनीतिक विवाद बन गया है और विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमला कर रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने रविवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार से पूछताछ की जानी चाहिए, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पूरी शिक्षा प्रणाली को माफिया और भ्रष्ट को सौंप दिया है। 

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