जर्मनी की पुलिस ने अचानक कई मस्जिदों पर ताला लगा दिया है। जिसके बाद पूरे देश में भयंकर बवाल मच गया है। जर्मनी की पुलिस ने बयान दिया है कि उसने इस्लामी आतंक से जुड़ी 54 जगहों पर छापेमारी की है। इनमें मस्जिदों के अलावा लोगों के घरों पर भी छापे मारे गए हैं। रिपोर्ट के मुताबित इसे इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ जर्मनी का सबसे बड़ा एक्शन बताया जा रहा है। लेकिन आपको बता दें कि जर्मनी में आज जो कुछ हो रहा है इसका जिम्मेदार वो खुद है। जर्मनी में इस्लामिक कट्टरता से लड़ने की बातें कर रहा है। लेकिन इसी जर्मनी ने कश्मीर में आतंक फैलाने वाले पाकिस्तान का हमेशा साथ दिया है। कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान से साथ खड़ा रहा है। लेकिन अब जर्मनी को अपने कर्मों का फल मिल रहा है।
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आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि वह अधिनायकवादी शासन, आक्रामक यहूदी विरोधी भावना और आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के समर्थन का प्रचार करने के लिए इस्लामिक सेंटर ऑफ हैम्बर्ग और उसके संबद्ध संगठनों पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा रहा है। बर्लिन, फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख में तीन अन्य मस्जिदों पर भी छापा मारा गया और उन्हें बंद कर दिया गया। आंतरिक मंत्री नैन्सी फेसर ने कहा कि जर्मनी में एक इस्लामवादी, अधिनायकवादी विचारधारा का प्रचार करता है। यह इस्लामी विचारधारा मानवीय गरिमा, महिलाओं के अधिकारों, स्वतंत्र न्यायपालिका और हमारे लोकतांत्रिक राज्य के खिलाफ है। मेरे लिए यह स्पष्ट अंतर करना बहुत महत्वपूर्ण है: हम किसी धर्म के विरुद्ध कार्य नहीं कर रहे हैं। हम स्पष्ट रूप से इस्लामवादियों के बीच अंतर करते हैं, जिनके खिलाफ हम कड़ी कार्रवाई करते हैं, और कई मुसलमान जो हमारे देश से हैं और अपने विश्वास के साथ जीते हैं।
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आधिकारिक समाचार एजेंसी, आईआरएनए के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्रालय ने शत्रुतापूर्ण कार्रवाई की निंदा करने के लिए तेहरान में जर्मन राजदूत को तलब किया और ऐसे विनाशकारी कार्यों के परिणामों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने इसे इस्लामोफोबिया का एक स्पष्ट मामला बताया। मंत्रालय ने कहा कि ईरान ने जर्मनी को बताया कि यह उपाय धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव भड़का सकता है। आईसीएच ने इस टिप्पणी का जवाब नहीं दिया, पहले चरमपंथ के आरोपों से इनकार कर चुका है।