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पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के आरोपों के बीच भाजपा नेता Fadnavis के समर्थन में आये

मुंबई । महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता उनके (फडणवीस के) समर्थन में आ गए हैं और सवाल उठाए कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता अब तक चुप क्यों रहे? देशमुख ने हाल ही में दावा किया था कि फडणवीस जब नेता प्रतिपक्ष थे तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे और यहां तक ​​कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे अजीत पवार के खिलाफ हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। 
शरद पवार के करीबी देशमुख ने यह भी दावा किया कि जब फडणवीस गृह मंत्री थे तब एक ‘‘बिचौलिए’’ ने कथित तौर पर उन्हें फडणवीस का संदेश पहुंचाया था। फडणवीस ने आरोपों से इनकार किया और देशमुख के कई ऑडियो-वीडियो जारी करने की धमकी दी, जिस पर देशमुख ने पलटवार करते हुए दावा किया कि उनके पास भाजपा के वरिष्ठ नेता के खिलाफ गंभीर आरोपों वाली एक पेन ड्राइव है। फडणवीस का पक्ष लेते हुए भाजपा नेताओं ने कथित जानकारी छिपाने के लिए देशमुख की मंशा पर सवाल उठाया और धन शोधन मामले में उन्हें चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत रद्द करने की मांग की। 
राज्य के कैबिनेट मंत्री एवं फडणवीस के करीबी सहयोगी गिरीश महाजन से जब आरोप लगाए जाने के समय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘देशमुख इतने दिनों तक चुप क्यों रहे? वे जानबूझकर फडणवीस और राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।’’ अप्रैल 2021 में तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पुलिस से शहर के होटल और बार मालिकों से धन वसूलने के लिए कहा था। इसके बाद देशमुख ने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के विधान पार्षद परिणय फुके ने कहा कि देशमुख चिकित्सकीय आधार पर जमानत पर जेल से बाहर आए हैं, लेकिन फडणवीस के खिलाफ उनके तीखे हमले को देखते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी जानी चाहिए और उन्हें वापस जेल भेज दिया जाना चाहिए। 
फुके ने कहा, ‘‘यह राज्य सरकार की छवि बिगाड़ने का प्रयास है।’’ हालांकि, देशमुख के बेटे सलिल देशमुख ने दावा किया कि उनके पिता को जमानत इसलिए दी गई क्योंकि धन शोधन मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने भी महाजन की बात दोहराई। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि उन्होंने (देशमुख) किस तरह का ‘एनर्जी ड्रिंक’ पीना शुरू कर दिया जिससे वे इस तरह की बातें करने लगे। अगर उनके पास ऐसी धमाकेदार जानकारी थी तो देशमुख को पहले ही इसे सार्वजनिक कर देना चाहिए था।’’ नवनिर्वाचित विधान पार्षद सदाभाऊ खोत ने कहा कि देशमुख ने सत्ता में रहते हुए मामला क्यों नहीं दर्ज कराया? खोत ने कहा, ‘‘देशमुख के दावों के अनुसार फडणवीस की ओर से एक व्यक्ति ने उनसे कई बार मुलाकात की। अगर वह कुछ गलत कर रहे थे तो देशमुख को उनके खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहिए था। उस समय वह सत्ता में थे।’’ शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि देशमुख ‘‘नई कहानी’’ गढ़ रहे हैं।

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