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अहमदाबाद । गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को सूरत स्थित एक ‘गेमिंग जोन’ द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राजकोट में 25 मई को आग लगने की इसी तरह की घटना के बाद नगर निगम अधिकारियों द्वारा उसे दिए गए बंद करने संबंधी नोटिस को चुनौती दी गई है। राजकोट में हुई घटना में, 27 लोगों की मौत हो गई थी। राजकोट के ‘टीआरपी गेम जोन’ में आग लगने की घटना के बाद अधिकारियों ने सभी ‘गेम जोन’ बंद करा दिए थे और उच्च न्यायालय ने 27 मई के अपने आदेश में कहा था कि अगले आदेश तक ये बंद रहेंगे।
सूरत स्थित याचिकाकर्ता कंपनी ‘लेट्स जंप ट्रैम्पोलिन एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड’ ने न्यायमूर्ति संगीता विशेन की अदालत को बताया कि सभी आवश्यक अनुमति होने के बावजूद अधिकारियों ने इसे सील कर दिया था। याचिकाकर्ता ने अपने वकील अमित ठक्कर के माध्यम से कहा कि अनियमितताओं की तरफ इंगित करते हुए उसे ‘गेम जोन’ बंद करने का नोटिस दिया गया था जो कि आधारहीन है। कंपनी ने कहा कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। ठक्कर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष एक अर्जी दायर की थी, जिसमें 27 मई के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी।
अदालत ने दिवानी अर्जी को चार जुलाई को खारिज कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को सक्षम अदालत में कार्रवाई को स्वतंत्र रूप से चुनौती देने की मंजूरी दे दी। उक्त आदेश में, राज्य के अधिकारियों ने 25 मई की घटना के मद्देनजर अगले आदेश तक किसी भी ‘गेम जोन’ को संचालित करने की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसने काफी निवेश कर 120 कर्मियों को नियुक्त किया था, लेकिन ‘गेम जोन’ के अचानक बंद हो जाने से उसे बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। याचिका में प्रतिवादियों को निर्धारित समय अवधि के भीतर निरीक्षण करने और यदि सब कुछ उपयुक्त और सही पाया जाता है तो संचालन की अनुमति देने के लिए अदालत से निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अदालत ने राज्य सरकार और सूरत नगर निगम सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 12 अगस्त तक जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ‘गेम जोन’ में लगी आग पर स्वत: संज्ञान लेकर याचिका पर सुनवाई कर रही है।