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चेन्नई । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चेन्नई और पुडुचेरी में एक नए बचाव समन्वय केंद्र एवं भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) की दो इकाइयों का उद्घाटन किया। सिंह ने रिमोट मोड के माध्यम से यहां तटरक्षक बल के नए समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) और क्षेत्रीय समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र (आरएमपीआरसी) तथा पुडुचेरी में तटरक्षक वायु एन्क्लेव का उद्घाटन किया। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) पर रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि चेन्नई में नेपियर ब्रिज के पास 26.10 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नया तटरक्षक एमआरसीसी समुद्र में संकट में फंसे नाविकों और मछुआरों के बचाव के लिए बेहतर समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा।
इसमें कहा गया है कि एमआरसीसी में स्थलीय और उपग्रह प्रणालियों के माध्यम से संकट की निगरानी के लिए नवीनतम उपकरण स्थापित किए गए हैं और यह खोज और बचाव प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता रखने वाले भारतीय तटरक्षक बल के उच्च प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा अलर्ट के प्रबंधन के लिए उन्नत संचार प्रणालियां भी हैं, जिसमें बचाव विमान, जहाज और अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि नया एमआरसीसी भारत के पूर्वी तट और उससे आगे सभी समुद्री बचाव कार्यों के समन्वय के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम करेगा, तथा भारतीय मछुआरों और नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
इसमें कहा गया है कि चेन्नई बंदरगाह परिसर में स्थित आरएमपीआरसी, भारतीय महासागर क्षेत्र (आईओआर) में तटीय राज्यों से सटे जल में समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से तेल एवं रासायनिक प्रदूषण के खिलाफ प्रतिक्रिया के समन्वय के लिए अपनी तरह का पहला केंद्र है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस केंद्र के निर्माण की घोषणा पहली बार सिंह ने नवंबर 2022 में कंबोडिया में आयोजित पहली भारत-आसियान बैठक के दौरान की थी। आरएमपीआरसी में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र (ईआरसी) होगा, जो समुद्री तेल प्रदूषण की घटनाओं पर निगरानी रखने के लिए तटरक्षक कर्मियों द्वारा चौबीसों घंटे संचालित किया जाएगा। यह बंदरगाहों, तेल का प्रबंधन करने वाली एजेंसियों, सरकारी संगठनों जैसे विभिन्न संगठनों और निजी प्रतिभागियों को प्रदूषण प्रतिक्रिया तकनीकों का प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा। पुडुचेरी में तटरक्षक वायु एन्क्लेव आईसीजी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह पुडुचेरी और दक्षिण तमिलनाडु तट पर समुद्री सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा।