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आईसीसी के सबसे युवा चेयरमैन जय शाह, जानें वो कारण जिस वजह से साबित होंगे बेस्ट ICC अध्यक्ष

बीसीसीआई के सचिव जय शाह को निर्विरोध अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी आईसीसी का अध्यक्ष चुना गया है। जिसके बाद जय शाह सबसे कम उम्र के आईसीसी के चेयरमैन हैं। वहीं जय शाह की इस उपलब्धि को देखकर कोई भी हैरान नहीं है क्योंकि बीसीसीआई का सचिव रहते हुए उनकी कार्यशैली हर किसी ने देखी है। 
बता दें कि, जय शाह का क्रिकेट प्रशासन में औपचारिक प्रवेश 2009 में हुआ था। उस दौरान उन्होंने केंद्रीय क्रिकेट बोर्ड अहमदाबाद के साथ जिला स्तर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद वह गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) के कार्यकारी के रूप में राज्य स्तरीय प्रशासन में चले गए, और अंतत: 2013 में इसके संयुक्त सचिव बने। हालांकि, कहा जा रहा है कि, जय शाह का आईसीसी चेयरमैन चुना जाना एक अच्छा फैसला है। 
इसका पहला कारण ये है कि जय शाह के खिलाड़ियों के साथ निजी स्तर पर अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं हैं कि भारत के आईसीसी के पूर्व प्रमुखों के खिलाड़ियों के साथ अच्छे समीकरण नहीं थे। जगमोहन डालमिया और एन श्रीनिवासन दो सफल व्यवसायी थे जो स्वाभाविक प्रशासक बने। वहीं अनुभवी राजनेता शरद पवार बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विश्वासपात्र सानियर खिलाड़ियों का नजरिया जानते थे। बाद में वह आईसीसी के प्रमुख भी बने। लेकिन शाह के मामले में चाहे वह कप्तान रोहित शर्मा हों, विराट कोहली हों, जसप्रीत बुमराह या फिर हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ियों के साथ सहज है। 
अगर जय शाह के पांच साल के कार्यकाल को देखा जाए तो उन्हें दो साल (2020 और 2021) के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना पड़ा जब कोविड-19 ने दुनिया को हिलाकर रख दिया और सब कुछ थम गया। आईपीएल के दौरान बायो बबल के निर्माण की देखरेख करना, उन बबल के भीतर चिकित्सा टीम बनाकार पॉजिविट मामलों को संभालना और टूर्नामेंटों का पूर्ण आयोजन सुनिश्चित करना उन बाधाओं में शामिल था, जिसे उन्होंने पार किया। 
साथ ही जय शाह की सबसे बड़ी उपलब्धि महिला प्रीमियर लीग की शुरुआत से होगी। उनकी अगुवाई में डब्ल्यूपीएल के लगातार दो सफल सत्र का आयोजन हुआ और इस दौरान महिला टी20 क्रिकेट में ये लीग सबसे ज्यादा राशि के अनुबंध दे रही है। उनके पूर्ववर्तियों ने महिला क्रिकेट के इस पहलू को नजरअंदाज किया। भारतीय महिला क्रिकेट टीम को समान मैच फीस देकर समानता सुनिश्चित करने का निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम था। 
एक और नीतिगत निर्णय टेस्ट क्रिकेट को प्रोत्साहन देना रहा। भारत इस साल 10 टेस्ट मैच का सत्र खेलेगा और अगर रोहित शर्मा और विराट कोहली सभी मैच खेलते हैं। उन्हें 6 करोड़ रुपये की मैच फीस मिलेगी। ये उनके ए प्लस के केंद्रीय रिटनेशिप अनुबंध से मात्र एक करोड़ रुपये कम है। इसका मतलब ये नहीं है कि शाह ने जरूरत पड़ने पर सजा नहीं दी। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को सबक सिखाया जिनके बारे में माना जाता था कि वे घरेलू क्रिकेट को नजरअंदाज करके आईपीएल की दौलत के पीछे भाग रहे हैं। 

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