भारतीय राजनेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 2009 से जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व किया है। वह 2018 में इसके दो भागों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बंटने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के आखिरी नेता थे। दो बार श्रीनगर के सांसद के रूप में और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कुछ समय के लिए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री रहे, उन्होंने पार्टी मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 2002 में इस्तीफा दे दिया। उमर को फरवरी 2020 में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था, उसी वर्ष मार्च में आदेश रद्द कर दिया गया था। एएनआई के साथ इंटरव्यू में उन्होंने जम्मू कश्मीर के मुद्दे से लेकर कांग्रेस संग गठबंधन पर खुलकर बात की है।
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उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस अपने मैनिफेस्टो और संकल्प के साथ चुनाव में जाएगी और हम अपने। पोस्ट पोल अरेंजमेंट पोस्ट पोल के हालात पर निर्भर करेंगे। वहीं उमर से पूछा गया कि वो अपने चुनावी भाषणों में स्थानीय मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने राष्ट्रीय मुद्दों पर ही भाषण दिया। इस पर अब्दुल्ला ने कहा कि वो राष्ट्रीय पार्टी है, इसलिए वो राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात करेगी। उनकी मौजूदगी ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी जगह है। हो सकता है कि उनकी बहन केरल से सांसद का चुनाव लड़े। मेरे पास जम्मू कश्मीर मुद्दे से आगे जाने का कोई कारण नहीं है।
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उमर अब्दुल्ला से पूछा गया कि राहुल गांधी अपने भाषण में कहते हैं कि 1947 में हमने राजाओं को हटाकर लोकतांत्रिक सरकार बनाई,आज जम्मू-कश्मीर में राजा हैं, उनका नाम एलजी है। काम, ठेके सभी बाहर के लोगों को दिए जा रहे हैं। इस पर अब्दुल्ला ने कहा कि वो गलत नहीं कह रहे हैं। आप दफ्तरों में जाकर देखेंगे तो मुख्य पदों पर मौजूद लोगों से बात करेंगे तो पाएंगे कि कॉन्ट्रैक्ट जम्मू कश्मीर के बाहर के लोगों को दिए जा रहे हैं। व्यापार बाहरी लोगों को हैंड ओवर कर दिया गया। ये सारी चीजें चुनी हुई सरकार आने के पहले किया जा रहा है।