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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें 32 उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी गई है। पार्टी ने सीएम नायब सिंह सैनी की लाडवा सीट से मेवा सिंह को टिकट दिया है। जिसके बाद अब इस सीट पर मेवा सिंह का सीएम नायब सिंह सैनी से सीधा मुकाबला होगा। जिस सीट से बीजेपी ने अपने सीएम नायब सिंह सैनी को उतारा है। उस सीट पर कांग्रेस ने मेवा सिंह पर भरोसा जताया है। इस भरोसे के पीछे मेवा सिंह का राजनैतिक सफर ही है। मेवा सिंह हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं।
मेवा सिंह पर ही कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव (2019) में भी लाडवा सीट से भरोसा जताया था और उन्होंने बीजेपी के पवन सैनी को 12,637 वोटों से हराया था। उन्होंने साल 1985-86 में राजनीति में कदम रखा था। मेवा सिंह ने सरपंच बनने से अपने इस सियासी सफर की शुरुआत की। हालांकि, इसके बाद वे इंडियन नेशनल लोकदल का हिस्सा बने और उन्होंने कुरुक्षेत्र जिला परिषद अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। लाडवा कुरुक्षेत्र जिला की विधानसभा सीट है, जिसको साल 2009 में कुरुक्षेत्र के थानेसर निवार्चन क्षेत्र से अलग करके बनाया गया है।
विधायक मेवा सिंह ने अपना पहला चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में वे 21 हजार 775 वोट ही हासिल कर सके थे। साल 2009 के चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी के शेर सिंह बड़शामी ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस की कैलाशो देवी सैनी दूसरे पायदान पर रही थी। मेवा सिंह ने साल 2011 में बीजेपी का साथ छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामा था।हालांकि, उनको जेबीटी घोटाले में दोषी ठहराया गया था, जिसके चलते वो साल 2014 का चुनाव नहीं लड़ सके थे और उनकी पत्नी बचन कौर ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वो कामयाबी हासिल नहीं कर सकी थी और तीसरे नंबर पर रही थी।
साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के पवन सैनी ने जीत हासिल की थी। 2014 में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने एक बार फिर 2019 के चुनाव में लाडवा सीट से पवन सैनी को ही टिकट दिया था और इस बार कांग्रेस ने मेवा सिंह को मैदान में उतारा था। हालांकि, दोनों के बीच काफी कड़ा मुकाबला था, लेकिन लगभग 12 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मेवा सिंह ने जीत हासिल की थी। मेवा सिंह ने 57 हजार 665 वोट हासिल किए थे, जबकि बीजेपी के पवन सिंह ने 45 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे।