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बेंगलुरु । कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का जाति जनगणना के मुद्दे पर राज्य की कांग्रेस सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कर्नाटक मंत्रिमंडल 18 अक्टूबर को सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा कर सकता है। इस रिपोर्ट को “जाति जनगणना” के रूप में जाना जाता है, जो राज्य में 2014-15 में किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है। हरियाणा में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की जिससे कांग्रेस की उम्मीदें धराशायी हो गईं।
कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में जाति-आधारित गोलबंदी से भाजपा को फायदा हुआ, जहां कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान पिछड़े वर्गों को लुभाने के लिए जाति सर्वेक्षण का वादा किया था। खरगे से पूछा गया कि क्या हरियाणा में मिली असफलता का राज्य में जाति जनगणना पर कोई प्रभाव पड़ेगा तो उन्होंने कहा, “इसका (हरियाणा के नतीजों का) कोई असर क्यों होगा? हमारी अपनी सोच और नीतियां हैं। कर्नाटक के लोगों के प्रति हमारी अपनी प्रतिबद्धता है। कांग्रेस की जाति जनगणना की प्रतिबद्धता पूरे देश में है। हम इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि जाति जनगणना होनी ही चाहिए।”
ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस नेतृत्व – एम मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया – जाति जनगणना पर स्पष्ट हैं और राज्य में इस मुद्दे पर कोई अस्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना का उद्देश्य केवल संख्या ज्ञात करना नहीं है, बल्कि इससे सरकार को बेहतर नीतियां, योजनाएं बनाने और बेहतर शासन चलाने में मदद मिलती है…।” प्रियांक ने जाति जनगणना पर सत्तारूढ़ कांग्रेस में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के नेताओं के बीच मतभेद को “विविधता” करार दिया।