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महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. पद्मसिंह बाजीराव पाटिल उस्मानाबाद विधानसभा सीट से 1978 से लेकर 2009 तक लगातार सात बार विधायक रहे हैं। उनका पवार परिवार से एक गहरा नाता है। उनकी बहन और पिछले लोकसभा चुनाव में बारामती से चुनाव लड़ने वाली सुनेत्रा पवार राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री अजित पावर की पत्नि हैं। पाटिल को 2023 में एनसीपी में हुए विद्रोह का सूत्रधार भी माना जाता है। राज्य में ऐसी चर्चाएं आम हैं कि उन्होंने ही अजित पवार और देवेंद्र फणनवीस के मध्य कड़ी का काम किया था।
पूर्व विधायक डॉ. पद्मसिंह बाजीराव पाटिल का जन्म 1 जून 1940 को हुआ था उनकी सौतेली बहन सुनेत्रा राज्यसभा की सदस्य हैं और महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी हैं। वे 20 साल से ज़्यादा समय तक महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे। वे महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष, विपक्ष के उपनेता और शरद पवार की कांग्रेस (एस) के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। मई 2009 के आम चुनावों में पाटिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे । वे 8 बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। छगन भुजबल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में लाने और पार्टी में अन्य दिग्गज नेताओं को तैयार करने में वे ही जिम्मेदार थे।
पाटिल के बेटे राणा जगजीतसिंह पाटिल उद्योग, राजस्व, कृषि, सांस्कृतिक मामले, प्रोटोकॉल, संसदीय मामलों के पूर्व राज्य मंत्री और दो बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। अब वे उस्मानाबाद विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में विधायक हैं। वे टेरना पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष और ट्रस्टी भी हैं, जिसका मुख्यालय धाराशिव में है ।
शरद पवार के मसल मैन पद्मसिंह का आखिर क्या है ‘NCP विद्रोह’ में रोल
पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान एक पत्रकार ने शरद पवार से पार्टी छोड़कर बीजेपी-शिवसेना की तरफ भाग रहे नेताओं पर सवाल पूछा। पत्रकार ने पूछा कि एनसीपी के पुराने नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, कुछ तो आपके नातेभाई (रिश्तेदार) भी हैं। शरद पवार रिश्तेदार का नाम सुनते ही उखड़ गए और कॉन्फ्रेंस से उठकर जाने लगे। जिसके बाद बहुत मान-मनौव्वल पर बैठे तो पत्रकार से माफी मांगने के लिए कहने लगे। ये भी बोले कि जिन्हें सवाल पूछने का सलीका न हो, ऐसे पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आने देना चाहिए। दरअसर पत्रकार का इशारा पद्मसिंह बाजीराव पाटिल की तरफ था।
इस समय पद्मसिंह और उनके बेटे राणा जगजीत सिंह के बीजेपी ज्वाइन करने की चर्चा थी। दिलचस्प ये है कि पद्मसिंह बेहद नजदीकी रिश्तेदार हैं और अजित पवार के साले हैं। ये सबको मालूम है कि जब रातों-रात बीजेपी ने महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी। तब अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था। बहुत पारिवारिक मान-मनौव्वल के बाद उनकी घरवापसी हो गई है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साले हैं पद्मसिंह
1978 में जब शरद पवार ने कांग्रेस (यू) से अलग हटकर कांग्रेस (एस) बनाई थी, तकरीबन उसी समय के आस-पास बाजीराव पाटिल भी उनसे जुड़े थे। बाजीराव पाटिल को लंबे समय तक शरद पवार के बेहद नजदीकियों में शुमार किया जाता रहा। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पहचान महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के मसल मैन के रूप में भी होती रही। दोनों नेताओं की नजदीकियां रिश्तेदारी में बदली। तब अजित पवार के साथ पद्मसिंह पाटिल की बहन सुनेत्रा से शादी हुई।
इस बीच बाजीराव 1978 से लेकर 2009 तक लगातार उस्मानाबाद विधानसभा सीट से विधायक रहे। उनकी लंबे समय तक जीत इस सीट पर उनकी पकड़ दिखाती है। शरद पवार का नजदीकी होने का उन्हें फायद मिला। वो राज्य में लंबे समय तक कई मंत्री पदों पर रहे। वो राज्य के गृहमंत्री और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे। इसके अलावा साल 1995 से 1999 तक मनोहर जोशी की अगुवाई वाली शिवसेना-बीजेपी सरकार में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। साल 2009 में पद्मसिंह पाटिल ने उस्मानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते।
भ्रष्टाचार के लगे हैं आरोप
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने साल 2005 में पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन ये आरोप सिद्ध नहीं किए जा सके। हालांकि, उस समय भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से पाटिल मुश्किल में पड़ गए थे। तब शरद पवार ने उनके बेटे राणा जगजीत सिंह को राज्यमंत्री बनाया था। चुनाव से पहले जब पद्मसिंह पाटिल बीजेपी में शामिल हुए थे तब राणा जगजीत भी उनके साथ शामिल हुए थे।
अजित पवार और बीजेपी का मेल करवाने में निभाई भूमिका
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अजित पवार के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने में मुख्य भूमिका निभाने वालों में बाजीराव पद्मसिंह भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए पद्मसिंह ने ही उन्हें बीजेपी के साथ जाने के लिए मनाया था।
तल्ख हो चुके हैं पवार के साथ रिश्ते
बताया जाता है कि चुनाव से पहले एनसीपी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले बाजीराव पद्मसिंह से शरद पवार के रिश्ते ठीक नहीं हैं। शायद यही वजह थी कि चुनाव से पहले हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके नाम पर भड़क गए थे। तब शरद पवार ने एनसीपी छोड़ने वालों पर यह भी कहा था कि उन नेताओं का जो भी विकास हुआ वो एनसीपी में हुआ। अब शायद उन्हें बीजेपी और ‘विकास ‘देना चाहती है।