भारत और अमेरिका ने आज तीनों सेनाओं के लिए 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने और देश में उनके लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा स्थापित करने के लिए 32,000 करोड़ रुपये के डील पर हस्ताक्षर किए। वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में दोनों पक्षों ने डील पर हस्ताक्षर किए। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में ये डील फाइनल हुई थी। भारत ने अमेरिका के साथ यूएस प्रेसिडेंडिशियल इलेक्शन के एक हफ्ते पहले ये डील साइन किया है।
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आखिर क्यों भारत को चाहिए प्रीडेटर ड्रोन
भारत के पास जो ड्रोन हैं वो रिकॉनिसेंस और सर्विलेंस मिशन के लिए हैं। अभी तक हमारे पास एक भी ऐसा ड्रोन नहीं है जो हथियार या बम गिरा सकता है। जिसे अनमैन्ड एरियल व्हीकल बोलते हैं या हंटर किलर ड्रोन। लेकिन हमारे पास कुछ प्रोग्राम्स हैं, जिसमें से कुछ ऐसे कॉब्बैट एयर व्हीकल्स पर काम हो रहा है। हमारे पास इजरायल के बने सर्चर, मार्क-2 और हेरन ड्रोन का इस्तेमाल 2004 से अभी तक हो रहा है। चीन के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में सीमा की निगरानी के लिए भारत को हथियारों से लैस इन ड्रोन की जरूरत है।
इसी से मारा गया था अलजवाहिरी
MQ-9B ड्रोन MQ-9 ‘रीपर’ का दूसरा वर्जन है। इसका इस्तेमाल काबुल में हेलफायर मिसाइल के एक मोडिफाइड वर्जन को दागने के लिए किया गया था। ईरानी सेना के कमांडर रहे कासिम सुलेमानी, अल कायदा प्रमुख अयमान ए जवाहिरी और सीरियाई अल कायदा प्रमुख सलीम अबू अहमद पिछले दो दशकों में शिकारी ड्रोन के शिकार हुए हैं।
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