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Lawrence Bishnoi से भारत कनाडा में खालिस्तानियों का करवा रहा सफाया, ट्रूडो की पुलिस ने से हो गई ऐसी गलती, बवाल मचना तय

भारत और कनाडा के बीच वार पलटवार जारी है। इस अदालत की शुरुआत वैसे तो कनाडा ने की है, लेकिन इसे खत्म भारत करेगा। कनाडा की पुलिस ने आरोप लगाया है कि भारत लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर कनाडा में आतंक फैला रहा है। लेकिन ये आरोप लगाते हुए कनाडा की पुलिस ने एक चूक कर दी है। ओवर कॉन्फिडेंस में आकर जस्टिन ट्रूडो की पुलिस ने पांच सेकेंड में ही अपने देश को बेनकाब कर दिया। भारत अब कनाडा के इस बयान को सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। कनाडा की पुलिस ने जाने अनजाने में एक सवाल के जवाब में भारत के सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया है। भारत जिन खालिस्तानियों को आतंकी मानता है। उन्हीं खालिस्तानियों की मौजूदगी अपने देश में स्वीकार कर ली है। 

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दरअसल, कनाडा की पुलिस आरोप लगा रही थी कि भारत लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर कनाडा में अपराध करवा रहा है। कनाडा के लोगों पर हमला करवा रहा है। इसके बाद एक पत्रकार ने कनाडा की पुलिस से सवाल पूछा कि क्या ये हमले सिर्फ सिखों पर हो रहे हैं या फिर खालिस्तानियों पर? इसके जवाब में पुलिस ने कहा कि भारत ये हमले सिखों पर नहीं खालिस्तानियों पर करवा रहा है। यानी कनाडा ने मान लिया है कि उसकी जमीन पर खालिस्तानी मौजूद हैं। अभी तक कनाडा सार्वजनिक तौर पर इन लोगों को खालिस्तानी नहीं बोलता था। 

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बता दें कि कुछ दिन पहले जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय हाई कमीश्नर संजय कुमार वर्मा और कुछ अन्य डिप्लोमैट को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर दिया। पर्सन ऑफ इंटरेस्ट का मतलब है ऐसा व्यक्ति जिसके बारे में पुलिस को लगता है कि वो किसी अपराध में शामिल हो सकता है और अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है। यानी कनाडा में सीधे सीधे भारतीय हाई कमिश्नर और हाई कमीशन के अधिकारियों को खालिस्तानी आतंकी की हत्या का आरोपी बता दिया। कनाडा की इस हरकत के बाद भारत भड़क गया। भारत ने सबसे पहले कनाडा में तैनात अपने हाई कमीश्नर संजय कुमार वर्मा को वापस बुला लिया। 
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार ने 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का फैसला किया है। उन्हें शनिवार, 19 अक्टूबर, 2024 को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ना है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में रेखांकित किया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार के कार्यों ने राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

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