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Canada-India row: जब इंदिरा गांधी ने लगाई थी जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे की क्लास! फिर भी आतंकवादी को सौंपने से किया मना, उसी ने उड़ा दिया विमान

भारत और कनाडा के रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर कनाडा लगातार भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ता जा रहा है। जस्टिन ट्रूडो से पहले उनके पिता पियरे ट्रूडो भी वहीं गलती दोहरा चुके हैं जो आज कनाडाई प्रधानमंत्री कर रहे हैं। उस वक्त भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सीनियर ट्रूडो की क्लास लगाई थी लेकिन वो नहीं समझे। फिर इसका खामियाजा उन्हें और 329 परिवारों को भुगतना पड़ा और बाद में खूब पछताए। इंदिरा गांधी ने भी खालिस्तानी मूवमेंट को समर्थन देने को लेकर सीनियर ट्रूडो को लाख समझाया लेकिन वो नहीं माने। 

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अब यही गलती उनके बेटे जस्टिन ट्रूडो भी दोहरा रहे हैं। दरअसल, बात तब की है जब जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1968 से लेकर 1979 तक और फिर 1980 से लेकर 1984 तक कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सत्ता संभाली थी। संयोग से इसी दौरान इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी। उस दौरान भारत में उमड़ रहे खालिस्तानी आंदोलन के मद्देनजर उन्होंने खालिस्तानी तलविंदर सिंह परमार के भारत प्रत्यर्पण की मांग की थी। लेकिन पियरो ट्रूडो की सरकार ने ये कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि भारत ब्रिटेन की रानी को कॉमनवेल्थ का हेड तो मानता है, लेकिन सदस्य है। इसलिए वो किसी भी तरह का प्रत्यर्पण नहीं करेगा। इसलिए कॉमनवेल्थ प्रत्यर्पण संधि लागू नहीं कर सकते। 

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बाद में 23 जजून 1983 को कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी आतंकियों ने एयर इंडिया के विमान में बम रखकर उसे उड़ा दिया था। जिसमें 329 लोगों की मौत हो गई थी। मॉन्ट्रियल से नई दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान कनिष्क को 23जून 1985 को आयरिश  हवाई क्षेत्र में बम से उड़ा दिया गया था। विमान अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस आंतकी हमले में 329 लोग मारे गए थे। जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। जिस समय विमान में बम विस्फोट हुआ तब लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से करीब 45 मिनट की दूरी पर प्लेन था। इस दौरान खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा का प्रमुख तलविंदर सिंह परमार एयर इंडिया विमान के हादसे का मास्टरमाइंड था। इस विमान हमले को लेकर कई लोग पियरो ट्रूडो को दोषी ठहराते हैं क्योंकि परमार को बचाने के लिए ट्रूडो ने इंदिरा गांधी की बात को नजरअंदाज किया था। 

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