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मुंबई । विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने कहा कि समय की मांग है कि आत्मचिंतन किया जाए कि क्या राज्य में खंडित राजनीतिक परिदृश्य लोगों के कल्याण और उनके हितों के अनुकूल है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राणे ने शनिवार को यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि विचारधारा और निर्वाचन क्षेत्र में बार-बार बदलाव से राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। राणे ने कहा कि सत्तारूढ़ महायुति को केंद्र में भाजपा के मजबूत नेतृत्व के कारण 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में बढ़त हासिल है।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमें (सभी को) आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि क्या (राजनीतिक) बिखराव लोगों के कल्याण और हितों को प्रभावित करता है।’’ महायुति में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में जून 2022 में बगावत के बाद शिवसेना विभाजित हो गई थी। इसके बाद शिंदे ने सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा भी पिछले साल तब विभाजित हो गई थी जब अजित पवार और कई अन्य विधायक शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए थे।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राणे ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15(4) के अनुसार राज्य सरकार को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कराने और आरक्षण देने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने मराठा आरक्षण (समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का अध्ययन करने के लिए) के लिए एक समिति का नेतृत्व किया था, तो इन प्रक्रियाओं का पालन किया गया था, लेकिन यह अदालत में टिक नहीं सका। मराठों के लिए ‘सेज सोयरे’ (रक्त संबंधी) और कुनबी प्रमाण पत्र की वर्तमान मांगें अदालतों में टिक नहीं पाएंगी। समुदाय की कुल 34 प्रतिशत आबादी में से 16 प्रतिशत गरीब मराठा हैं।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आश्चर्य जताया कि क्या जाति सर्वेक्षण से कोई उद्देश्य पूरा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। सर्वेक्षण से जाति विभाजन बढ़ेगा। मराठवाड़ा में यह पहले ही देखा जा चुका है, जो बहुत दुखद है। समाधान खोजने के लिए सामाजिक सद्भाव की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों की प्रति व्यक्ति आय में सुधार और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए कदम उठाने की जरूरत है ताकि वे महंगाई से निपट सकें। राणे ने 2005 में उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों को लेकर (तत्कालीन अविभाजित) शिवसेना छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों ने दिखा दिया है कि ‘‘असली’’ शिवसेना राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ है। उन्होंने दावा किया, ‘‘उद्धव ठाकरे मूल शिवसेना को एकजुट नहीं रख सके। (शिवसेना संस्थापक) बालासाहेब ठाकरे के विपरीत, वह कार्यकर्ताओं, नेताओं को एकजुट नहीं रख सके। उद्धव ठाकरे का कोई भविष्य नहीं है।