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‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना भारत की प्रगति की कुंजी है: मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुल्क को विकसित देश बनाने के लिए शुक्रवार को लोगों के बीच ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ की भावना पैदा करने के महत्व पर जोर दिया।
मुर्मू यहां ‘‘राष्ट्रवादी विचारकों’’ की एक संगोष्ठी, ‘‘लोकमंथन-2024’’ के उद्घाटन के अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रही थीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि औपनिवेशिक शासकों ने न केवल ‘‘भारत का आर्थिक शोषण किया’’ बल्कि ‘‘इसके सामाजिक ताने-बाने को भी नष्ट करने का प्रयास किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘(औपनिवेशिक) शासकों ने हमारी समृद्ध बौद्धिक परंपराओं की उपेक्षा की, उन्होंने नागरिकों में सांस्कृतिक हीनता की भावना पैदा की। हमारी एकता को कमजोर करने के लिए ऐसी प्रथाएं हम पर थोपी गईं। सदियों की पराधीनता ने नागरिकों को गुलामी की मानसिकता में पहुंचा दिया। विकसित भारत के लिए ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना पैदा करना आवश्यक है।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को विभाजित करने और कृत्रिम मतभेद पैदा करने के प्रयासों का उद्देश्य एकता को कमजोर करना था। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारतीयता की भावना ने राष्ट्रीय एकता की लौ को जीवित रखा है।

इस कार्यक्रम में तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा, केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी, तेलंगाना महिला और बाल कल्याण मंत्री डी अनसूया और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल हुए।

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