भारतीय जनता पार्टी के नेता और दिल्ली की जनकपुरी विधानसभा सीट से लगातार पाँच बार के विधायक प्रो. जगदीश मुखी ने बीजेपी के दिल्ली में मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 2017 से 2023 तक असम के 28वें राज्यपाल और 2021 से 2023 तक नागालैंड के राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार) और 2019 में मिजोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हैं। मुखी ने 2016 से 2017 तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 13वें लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में कार्य किया। 1998 में वे स्वराज मंत्रालय में दिल्ली सरकार के वित्त, योजना, उत्पाद शुल्क और कराधान और उच्च शिक्षा मंत्री रहे।
प्रो. जगदीश मुखी का आरंभिक जीवन और शिक्षा
जगदीश मुखी का जन्म 1 दिसंबर 1942 को दजल में एक सरायकी हिंदू परिवार में हुआ था। 4 साल की उम्र में भारत के विभाजन के दौरान परिवार सोहना चला गया। मुखी ने 1965 में राजस्थान के अलवर में राज ऋषि कॉलेज से बी.कॉम. की डिग्री हासिल की, उसके बाद 1967 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.कॉम. की डिग्री हासिल की। राजनीति में प्रवेश करने से पहले वे दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज में प्रोफेसर थे। उन्हें अक्टूबर 1995 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से वित्त में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने 1970 में प्रेम ग्रोवर से विवाह किया। उनका एक बेटा अतुल और एक बेटी लतिका है।
राजनीतिक सफर
मुखी ने 1958 में पानीपत में स्कूल में रहते हुए आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया। 1964 में अलवर जिला आरएसएस के कार्यवाह सचिव बने और 1975 में दिल्ली आरएसएस के साथ आपातकाल के खिलाफ अभियान चलाया। 1973 में दिल्ली के जनकपुरी में स्थानांतरित होने के बाद वे सितंबर 1977 में नवजात जनता पार्टी की जनकपुरी शाखा के महासचिव बने। उनकी पहली चुनावी सफलता 1980 में सलाहकार दिल्ली महानगर परिषद के लिए हुए उपचुनाव में मिली थी। उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री की भूमिका निभाते हुए गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय का 8 महीने के रिकॉर्ड समय में शुभारंभ किया।
तत्कालीन केंद्रीय योजना मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ योजना मंत्री के रूप में सम्मानित किया था । दो बार उन्हें दिल्ली विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार दिया गया। उन्होंने 1980 से लगातार जनकपुरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2015 के चुनाव में AAP नेता राजेश ऋषि से 25000 वोटों से हारने तक उसी निर्वाचन क्षेत्र से लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते। उन्होंने भाजपा में सभी स्तरों पर काम किया है। वह अगस्त 2016 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल बने फिर सितंबर 2017 में असम के राज्यपाल बने।