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अगले साल राजधानी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग क्षेत्र के मतदाताओं के मिजाज को समझना इस बार सभी पार्टियों के लिए मुश्किल होगा। इस विधानसभा सीट पर लगातार चार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी आप के सामने अब हार की हैट्रिक बना चुकी है। तो वहीं, दिल्ली की सत्ता में लगातार 15 साल तक रही कांग्रेस यहां लगातार सात चुनाव हार चुकी है। आज तक उसे यहां जीत नसीब नहीं हो पाई है। दिल्ली में शायद ही कोई ऐसी सीट होगी, जहां कांग्रेस को लगातार सात चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा हो। क्योंकि आम आदमी पार्टी पर पिछले तीन चुनावों से यहां के मतदाता मेहरबान हैं।
साहिब सिंह वर्मा ने जीता था पहला चुनाव
शालीमार बाग विधानसभा सीट से कई रोचक राजनीतिक किस्से जुड़े हैं। 1993 में अस्तित्व में आयी इस विधानसभा के मतदाताओं ने राजधानी को मुख्यमंत्री दिया था। पहले चुनाव में भाजपा से साहिब सिंह वर्मा मैदान में उतरे और विधायक बने। मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना को कुछ समय बाद पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा के सांसद बनने के बाद 1998 में विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग से रविंद्र बंसल को उम्मीदवार बनाया था।
रविंद्र बंसल के सामने नहीं टिक सकी कांग्रेस
साल 2003 और 2008 के चुनाव जीतकर रविंद्र बंसल ने जीत की हैट्रिक बनाई थी। इस सीट से लगातार चार चुनाव जीत के बाद शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का अभेद राजनीतिक किला माना जाने लगा। लेकिन आम आदमी पार्टी के गठन के बाद वर्ष 2013 में यहां के मतदाताओं का मूड बदल गया। इस चुनाव में रविंद्र बंसल को हार का मुंह देखना पड़ा और मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी प्रत्याशी को जीता दिया। 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदला और रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा। 10 हजार से अधिक मतों से रेखा गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा। दूसरी बार आम आदमी पार्टी को जीता दिया। 2020 के चुनाव में भी मतदाताओं ने अपना फैसला दोहराया।
बीजेपी के नाम हार की हैट्रिक
2020 आम आदमी पार्टी प्रत्याशी बंदना कुमारी विधायक बनीं और रेखा गुप्ता को लगातार दूसरी बार हार देखनी पड़ी। रेखा गुप्ता की हार से साथ ही भाजपा के नाम हार की हैट्रिक दर्ज हो गई। 1993 से पहले शालीमार बाग क्षेत्र शकूर बस्ती विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था, तब यहां कांग्रेस का डंका बजता था। यहां से अंतिम बार 1983 में कांग्रेस से एससी वत्स चुनाव जीते थे। शालीमार बाग विधानसभा के वजूद में आने के बाद कांग्रेस यहां से कभी चुनाव नहीं जीत पाई। पिछले दो चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही कमजोर रहा। 2015 में कांग्रेस प्रत्याशी 3200 और 2020 के चुनाव में केवल 2491 मत ले पाए।