टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के बीच में संन्यास की घोषणा की थी। उन्होंने ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने संन्यास की जानकारी दी। तबसे लगातार ये सवा उठ रहा है कि अश्विन ने किसी दबाव में संन्यास लिया। उनके पिता ने उनके संन्यास के बाद आरोप लगाया कि उनके बेटे की बेइज्जती हो रही थी जिस कारण उन्होंने ये फैसला लिया। हालांकि, अश्विन ने हमेशा इन सब बातों से इनकार किया है।
अश्विन ने यूट्यूब चैनल पर बातचीत करते हुए कहा कि आखिरी उनके संन्यास की क्या वजह थी। उन्होंने कहा कि, क्या फर्क पड़ेगा अगर मैं मैदान पर गेंदबाजी करने आया और लोग तालियां बजा रहे हों? लोग इस पर कितने दिन चर्चा करेंगे? फेयरवेल से कोई बड़ी बात नहीं होती। खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया और मैंने इसे पूरी कोशिश के साथ खेला। अगर मैं एक फेयरवेल मैच खेलना चाहता हूं और मेरी टीम में जगह सिर्फ इसलिए बन रही है क्योंकि वह मेरा फेयरवेल टेस्ट है तो मैं कभी ऐसा नहीं चाहता था। मुझे लगा कि मेरे क्रिकेट में और दम था, थोड़ा और खेल सकता था। लेकिन ठीक है कि आप तब संन्यास लें जब लोग हैरान हो जाएं, तब नहीं जब लोग उम्मीद कर रहे हो कि आप संन्यास ले लो।
अश्विन ने आगे कहा कि, एक चीज ये भी है कि क्रिकेट करियर में हमेशा वह नहीं होगा जो हम चाहते हैं। हमें लग सकता है कि काश ऐसा हो जाता, ऐसा हो सकता था। लेकिन जब मैंने संन्यास लिया तो मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था। मेरे लिए हर चीज एक सीख थी। जब भी चीजें मेरे हिसाब से नहीं हुई तो मैंने उससे सीखा। मैं जीता तो भी सीखा मुझे क्रिकेट खेलकर खुशी मिलती थी और इसलिए मैं ये करता था। मैं अब भी उसी खुशी के लिए खेलूंगा ऐसा मत बोलों के मैंने क्यों संन्यास लिया।
Ashwin anna take on farewell test. pic.twitter.com/v5JX7Yv18M