20 जनवरी की तारीख में अब बस दो दिन का वक्त शेष रह गया है। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं। अमेरिका में ट्रंप के सत्ता संभालने के साथ ही बहुत कुछ बदलने वाला है। ट्रंप के कुर्सी पर काबिज होते ही एक से बढ़कर एक नए फैसलों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। अमेरिका में राष्ट्रपति के बदलते ही दुनिया बदलावों का सिलसिला देखेगी। ट्रंप के आते ही कुछ सख्त फैसले भी लिए जाएंगे और कुछ नई नियुक्तियां भी होंगी। इसकी शुरुआत भारत में हो भी चुकी है। भारत में अमेरिकी राजदूत गर्सेटी भी अब अपनी सेवाओं को खत्म कर अमेरिका वापस लौट रहे हैं। इसके साथ ही भारत नए राजदूत पहुंचने वाले हैं। इसके साथ ही भारत सरकार के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि ट्रंप प्रशासन भारत में नए राजदूत के रूप में किसे भेजने वाली है। ये कौन होगा इसके लिए तो फिलाहल थोड़ा इंतजार करना होगा।
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भारत में अमेरिका के राजदूत का कार्यकाल खत्म हो चुका है। अमेरिका के दिल्ली में तैनात एंबेसडर एरिक गर्सेटी भारत में अपना आखिरी भाषण भी दे चुके हैं और उनका फेयरवेल भी हो चुका है। अपने आखिरी भाषण में एरिक ने भारत की जमकर तारीफ भी की थी। अपने बयान में एरिक ने कहा था कि हमें नहीं पता की भविष्य में क्या होने वाला है। लेकिन मैं अपने साथी अमेरिकियों से कहूंगा कि हम ज्यादा से ज्यादा भारतीयों से ज्यादा से ज्यादा तरीकों से संपर्क बनाएं। वो उतना अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि नफरत करने वालों को गलत साबित करते हुए हम ट्वीट करने की बजाए मिले। प्रदर्शन करने के बजाए निवेश करें। आपत्ति जताने की बजाए कनेक्ट करें।
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अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने के बाद बड़े पैमाने पर दुनियाभर में राजदूतों के बदलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। दुनिया के अलग अलग देशों में भारतीय राजूदत ज्यादातर भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी होते हैं। लेकिन सरकार जरूरत के हिसाब से दूसरे सेवा के अधिकारियों या राजनेताओं को भी राजदूत के तौर पर नियुक्त कर सकती है। इसके लिए प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति राजदूत की नियुक्ति को मंजूरी देते हैं। इसी तरह अमेरिका में भी ये अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है। ये एक राजनीतिक पद है, इसलिए सरकार बदलते ही अमेरिकी राजदूतों के बदलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। किसी भी देश के राजदूत के उम्मीदवार का चयन अमेरिकी राष्ट्रपति करते हैं। इसमें ध्यान रखा जाता है कि व्यक्ति को राजनयिक या विदेशी संबंधों का अनुभव हो। इसके बाद सीनेट उस नाम पर विश्लेषण करता है और अपनी अंतिम मुहर लगाता है और फिर शपथग्रहण हो जाता है।