सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों द्वारा दायर अपील पर 13 फरवरी को सुनवाई करेगा।जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने इस मामले को बार बार टालने की मांग पर असंतोष व्यक्त किया। जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि हमने 5-6 बार स्थगन दिया है। पिछले एक साल से मैं इस मामले को स्थगित कर रहा हूं।’ शुरुआत में याचिकाकर्ता/ आरोपियों के वकीलों ने कई बिंदु उठाए, जिनमें यह भी शामिल था कि दोषी व्यक्तियों की क्षमा याचिकाएं राज्य के समक्ष लंवित हैं और पहले उनका निपटारा किया जाना चाहिए।
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27 फरवरी 2002 का मामला
साबरमती एक्सप्रेस के S6 कोच में आग लगने से 58 लोगों की मौत हो गई थी। उनमें अयोध्या से लौट रहे कारसेवक शामिल थे। गोधरा कांड ने गुजरात में सांप्रदायिक दंगों को भड़का दिया था। मार्च 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मृत्युदंड और शेष 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 63 आरोपी बरी कर दिए गए थे। 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया। 20 को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।
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रेकॉर्ड डिजिटल तौर पर पेश किए जाएं: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को अलग तरीके से देखा जाना चाहिए। एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। जस्टिस महेश्वरी बार-बार स्थगन के अनुरोध पर नाराज दिखे और कहा कि इस मामले की सुनवाई उनके ऑफिस में होनी चाहिए और अगली सुनवाई की तारीख पर पक्षों को अपनी दलीलें शुरू करनी होंगी। जो भी रेकॉर्ड गुजराती भाषा में हैं उन्हें अंग्रेजी में अनुवाद किया जाए। उन्हें डिजिटल तौर पर उपलब्ध कराएं ताकि सभी पक्षों को रेकॉर्ड्स मिल सकें।