शुक्रवार को वक्फ बिल पैनल से विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने के बाद, संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि टीएमसी के कल्याण बनर्जी द्वारा उनके खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने के कारण सदन स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि मैं उनसे अनुरोध करता रहा कि उन लोगों को बोलने दें, जिन्हें हमने आमंत्रित किया है।’ हमने सदन को बार-बार स्थगित किया लेकिन विपक्षी सांसद नहीं चाहते थे कि बैठक जारी रहे। जम्मू-कश्मीर से एक प्रतिनिधिमंडल आया था लेकिन वे (विपक्षी सांसद) चिल्लाते रहे और नारे लगाते रहे। इसलिए आखिरकार निशिकांत दुबे को एक प्रस्ताव लाना पड़ा और सभी इस पर सहमत हुए।
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बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि आज, हम यहां दो पक्षों को सुनने के लिए आए थे, एक जम्मू-कश्मीर का संगठन था और दूसरा दिल्ली के वकीलों का संगठन था। संस्था के सदस्य इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कल्याण बनर्जी (टीएमसी सांसद) के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य हंगामा कर रहे हैं, जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल के लिए असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। बैठक दो बार स्थगित की जा चुकी है। जेपीसी सदस्य और भाजपा सांसद संजय जयसवाल ने कहा कि विपक्षी सांसदों ने उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नहीं किये।
भाजपा नेता ने कहा कि जब ऐसा नहीं होता तो तकनीकी रूप से वे वहां मौजूद नहीं होते। उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर किए बिना उन्होंने हंगामा किया और यह एक साजिश थी।’ वे नहीं चाहते थे कि मीरवाइज उमर फारूक और जम्मू-कश्मीर के तमाम उलेमा अपनी बात लोकसभा सांसदों के सामने रखें। विपक्ष बीजेपी और एनडीए के विरोध से देश विरोध की ओर बढ़ गया है। विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर के मौलानाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की।
बैठक के बाद जगदंबिका पाल ने बताया कि आज की बैठक संपन्न हो गई है। आज दो महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल गवाह के रूप में आये थे। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर से था। दूसरा लॉयर्स फॉर जस्टिस का था, जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील शामिल थे। उन्होंने अच्छा प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने विस्तृत शोध कार्य किया है जो हमारी रिपोर्ट के लिए भी उपयोगी होगा। भले ही यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है, हमारे सदस्यों ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से कहा कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन मुझे दुख है कि आज की बैठक इतनी महत्वपूर्ण थी लेकिन जिस तरह से कल्याण बनर्जी ने अनावश्यक हंगामा किया।
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उन्होंने कहा कि बैठक में, वेल में घुसकर बहस करने की कोशिश की और गालियां भी दीं, मुझे लगता है कि उन्होंने आज सारी हदें पार कर दीं और सारी मर्यादाओं का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पूरा देश, पूरी दुनिया यह देख रही है। वह नहीं चाहते थे कि हम मीरवाइज उमर फारूक को भी सुनें। हमारे सभी सदस्य इससे आहत हैं। हमने दो बार बैठक स्थगित की लेकिन उन्होंने मन बना लिया था कि आज बैठक नहीं बुलाने देंगे। निशिकांत दुबे ने प्रस्ताव रखा और कुछ सदस्यों को बाहर भेजना पड़ा। जेपीसी सदस्य होने के बावजूद वे बाहर ही बयान देते हैं। तीन तलाक, धारा 370 और धारा 35ए जैसी ही कोशिशें हो रही हैं। लेकिन पहले के नतीजे सकारात्मक थे और ये नतीजे भी सकारात्मक होंगे। अगली बैठक 27 जनवरी को होगी।