फीफा ने एक बार फिर पाकिस्तान फुटबॉल महासंघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। फीफा परिषद के ब्यूरो द्वारा गुरुवार को घोषित ये निर्णय पीएफएफ द्वारा अपने संविधान के संशोधित संस्करण को अपनाने में विफल रहने के परिणामस्वरूप आया है, जिसे फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ ने महासंघ की चल रही सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अनिवार्य किया था।
फीफा के आधिकारिक बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि पाकिस्तान के फुटबॉल प्रशासन के भीतर निष्पक्ष और लोकतांत्रिक शासन सुनिश्चित करने के लिए निलंबन आवश्यक था।
फीफा परिषद के ब्यूरो के एक बयान में कहा गया है कि, पीएफएफ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है क्योंकि ये पीएफएफ संविधान के संशोधन को अपनाने में विफल रहा है जो वास्तव में निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव सुनिश्चित करेगा और इस तरह पीएफएफ की चल रही सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में फीफा द्वारा अनिवार्य किए गए अपने दायित्वों को पूरा करेगा।
इसमें कहा गया है कि, पीएफएफ कांग्रेस द्वारा फीफा और एएफसी द्वारा प्रस्तुत पीएफएफ संविधान के संस्करण को मंजूरी दिए जाने के अधीन ही निलंबन हटाया जाएगा। फीफा के साथ पीएफएफ का मुश्किल इतिहास ये तीसरी बार है जब 2017 के बाद से पाकिस्तान फुटबॉल महासंघ को फीफा द्वारा निलंबित किया गया है। जो संगठन में लगातार शासन और प्रशासनिक संकटों को उजागर करता है जो देश के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
फीफा ने पहली बार 10 अक्टूबर 2017 को तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का हवाला देते हुए पीएफएफ को निलंबित कर दिया था, जिसने फीफा के नियमों का उल्लंघन किया था। 13 मार्च 2018 के प्रतिबंध हटा लिया गया, जिससे पाकिस्तान को 2018 एशियाई खेलों और SAFF चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिल गई।
इससे पहले 27 मार्च 2021 को पूर्व अध्यक्ष सैयद अशफाक हुसैन शाह के नेतृत्व वाले एक ग्रुप ने पीएफएफ के कार्यालय पर जबरन कब्जा कर लिया, जिसके कारण चल रही महिला फुटबॉल चैंपियनशिप रद्द कर दी गई। इसके बाद फीफा ने बाहरी हस्तक्षेप के कारण 7 अप्रैल 2021 को तत्काल निलंबन लगा दिया। 29 जून 2022 को हटाए जाने से पहले ये प्रतिबंध एक साल से ज्यादा समय तक लागू रहा।