Breaking News

फरीदाबाद: केंद्रीय मंत्री ने 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घघाटन किया

फरीदाबाद । केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया। शेखावत ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दो बड़े ऐतिहासिक आयोजनों के माध्यम से भारत, विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां, भारत को सामाजिक समरसता और एकता के सूत्र में बांधने वाले महाकुंभ का आयोजन हो रहा है वहीं, दूसरी ओर भारत की सांझी कलात्मक विरासत का प्रदर्शन करने वाले सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला शुरू हुआ है।
शेखावत ने कहा कि सूरजकुंड का यह मेला केवल कला को दिखाने का अवसर नहीं बल्कि शिल्पकारों और दस्तकारों की पुरातन परंपरा को दर्शाने का महान मंच है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का जो स्वपन हम देख रहे हैं, यह मेला उस संदेश को चरितार्थ करने का काम कर रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सूरजकुंड और सूरजकुंड का यह अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला केवल हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की पहचान बन चुका है।
उन्होंने कहा कि यह मेला हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को भी साकार करता है और शिल्प के साथ-साथ हमारी संस्कृति को भी दुनिया के सामने रखने का अवसर देता है। सैनी ने इस मेले के आयोजन के लिए हरियाणा पर्यटन विभाग, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय, वस्त्र, संस्कृति और विदेशी मामले मंत्रालयों और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इस मेले में एक राज्य को ‘थीम स्टेट’ और एक देश को भागीदारी देश बनाया जाता था लेकिन इस बार मेले को ‘शिल्प महाकुंभ’ का आकार देने के लिए पहली बार मेले में दो राज्यों-ओडिशा और मध्यप्रदेश को ‘थीम स्टेट’ बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि सात देशों के संगठन ‘बिम्सटेक’ को भागीदार बनाया गया है। बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। सैनी ने कहा कि भले ही ये सात अलग-अलग देश हैं, लेकिन इनकी संस्कृति में समानता है और हम सबके हित एक-दूसरे से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला पिछले 37 वर्षों से शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों के लिए अपना हुनर प्रदर्शित करने का बेहतरीन मंच रहा है। यह मेला परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी है, जो भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया-भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश में शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के मंच प्रदान कर रही है।

Loading

Back
Messenger