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अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतने वाले जूनियर और सब जूनियर एथलीट्स को अब सरकार से नकद पुरस्कार नहीं मिलेंगे। दरअसल, ये बदलाव 1 फरवरी 2025 से लागू हो गया है। खेल मंत्रालय के इस बड़े नीतिगत बदलाव का उद्देश्य डोपिंग और आयु धोखाधड़ी के दोहरे खतरे से निपटना है और साथ ही युवाओं की भूख को जीवित रखना है। पुरानी प्रणाली के अनुसार जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले एथलीट को लगभग 13 लाख रुपये मिलते थे, जबकि एशियाई या राष्ट्रमंडल में पोडियम पर टॉप स्थान प्राप्त करने वाले एथलीट को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलता था।
खेल मंत्रालय के एक पदाधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस निर्णय के पीछे एक प्रमुख कारक जूनियर प्रतियोगिताओं को पोडियम फिनिश केबजाय विकासात्मक आयोजनों के रूप में बढ़ावा देना था। अधिकारी ने कहा कि, हमने देखा है कि केवल भारत ही ऐसे मॉडल का अनुसरण करता है जहां जूनियर चैंपियनशिप को ज्यादा महत्व दिया जाता है। नतीजतन, हमने देखा है कि एथलीट इस स्तर पर इतनी मेहनत करते हैं कि जब तक वे एलीट स्टेज पर पहुंचते हैं तब तक वो या तो थक जाते हैं या उनकी भूख खत्म हो जाती है।
इसके साथ ही, खेल मंत्रालय ने मल्लखंब, ई-स्पोर्ट्स और यहां तक कि आलोचकों के निभाने पर आ रहे ब्रेक-डासिंग के वर्ल्ड और महाद्विपीय चैंपियनशिप के पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार मिलने का पात्र बना दिया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, खेल मंत्रालय ने 51 खेलों की एक सूची जारी की है जिनमें पदक जीतने वाले नकद पुरस्कार के लिए पात्र होंगे। इसमें वे सभी खेल शामिल हैं जो ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व विद्यालय खेलों के कार्यक्रम का हिस्सा हैं। इस सूची में खो-खो भी शामिल है, जिसका पहला विश्व कप पिछले महीने दिल्ली में हुआ था।