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Vanakkam Poorvottar: Naga Peace Talks में चर्चा रही सकारात्मक, दोनों पक्षों ने दिखाया रचनात्मक रुख

नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के दूत एके मिश्रा आज नगा समूहों के साथ अलग-अलग बैठकें करने के लिए नगालैंड पहुंचे। एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय में पूर्वोत्तर मामलों के सलाहकार मिश्रा नगालैंड पहुंचने के बाद नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) की कार्य समिति के साथ बातचीत में शामिल हुए। हम आपको बता दें कि एनएनपीजी की कार्य समिति के मीडिया प्रकोष्ठ ने एक बयान में कहा है कि नवनियुक्त संयोजक एमबी नियोकपाओ और कार्यकारी संयोजकों पी तिखाक नागा एवं इसाक सुमी के नेतृत्व में इसके नेताओं ने दिमापुर में एके मिश्रा के नेतृत्व वाले केंद्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। बैठक में एनएनपीजी की कार्य समिति के नेताओं ने उन्हें हाल के घटनाक्रमों से अवगत कराया और संघर्ष के शीघ्र समेकित एवं समावेशी राजनीतिक समाधान की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैठक में नगा राजनीतिक समूहों और हितधारकों के बीच राजनीतिक सहमति विकसित करने पर भी विचार-विमर्श किया गया ताकि किसी भी हितधारक को बाहर किए बिना व्यापक आधार पर मुद्दे को हल करने में तेजी लाई जा सके। बयान में कहा गया है कि विभिन्न नगा नागरिक समाज संगठनों द्वारा परस्पर विरोधी नगा राजनीतिक समूहों के बीच सहमति बनाने के लिए चल रहे प्रयासों की भी समीक्षा की गई है। इसके अलावा, केंद्रीय प्रतिनिधियों और एनएनपीजी की कार्य समिति के बीच बंद कमरे में हुई बैठक में भी इस मुद्दे के तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने तक धैर्य, प्रतिबद्धता और स्पष्टता के साथ प्रक्रिया की स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बताया जा रहा है कि केंद्र के प्रतिनिधि शुक्रवार को एनएससीएन-आईएम के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकते हैं।

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हम आपको बता दें कि केंद्र और एनएससीएन-आईएम ने 1997 में संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए बातचीत शुरू हुई थी। 70 से अधिक दौर की वार्ता के बाद, केंद्र ने 2015 में एनएससीएन-आईएम के साथ रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, केंद्र ने नगाओं के लिए एक अलग ध्वज और संविधान की एनएससीएन-आईएम की लगातार की जा रही मांग को स्वीकार नहीं किया है, जिसके कारण बातचीत लंबी खिंचती चली गई। हम आपको याद दिला दें कि केंद्र ने 2017 में सात नगा समूहों के गठबंधन एनएनपीजी की कार्य समिति के साथ समानांतर वार्ता भी की और उसी वर्ष ‘सहमति की स्थिति’ पर हस्ताक्षर किए गए। हम आपको यह भी बता दें कि एनएनपीजी की कार्य समिति ने जो भी संभव है उसे स्वीकार करने और अन्य विवादास्पद मांगों पर बातचीत जारी रखने की इच्छा व्यक्त की है, वहीं एनएससीएन-आईएम ने घोषणा की है कि वह अलग ध्वज और संविधान के बिना किसी भी समाधान को स्वीकार नहीं करेगा।
दूसरी ओर, इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर को शांति और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। आज नई दिल्ली में असम राइफल्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “आज पूर्वोत्तर भारत का है और पूरा भारत पूर्वोत्तर का है। आज पूरा देश बड़ी आशाओं के साथ पूर्वोत्तर को देख रहा है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी के रूप में सारे भारत में प्रसिद्ध करने का काम किया है… सभी जगह पूर्वोत्तर के लिए अवसर मौजूद हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने उन सभी अवसरों को जमीन पर उतारने का काम किया है।

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