स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रकवि सुब्रमण्य भारती को रविवार को उनकी 141वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने उन्हें समाज सुधारक बताया जबकि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने वाराणसी में पुनर्निर्मित घर का उद्घाटन किया, जहां दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी कभी रहा करते थे।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री ने भारती की जयंती के अवसर पर कवि की एक आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया और राज्य सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित एक स्मारिका का विमोचन किया।
राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में रवि के हवाले से कहा गया है कि कवि भरतियार को सम्मानपूर्वक भारती कहकर संबोधित किया जाता है, जिन्होंने न केवल भारत की स्वतंत्रता के लिए बल्कि एक मजबूत, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत के लिए भी सपना देखा था।
राज्यपाल ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में ‘‘महान राष्ट्रवादी कवि और समाज सुधारक सुब्रमण्य भरतियार और राष्ट्र निर्माण में उनके अपार योगदान को याद किया।’’
रवि ने भरतियार की पंक्तियों ‘‘सेप्पु मोझी पथिनेट्टु उदैयाल चिंतानै ओन्ड्रू उदैयाल’’ का जिक्र किया जिसमें कवि ने कहा था कि भारत माता 18 भाषाएं बोलती है लेकिन उनकी एक सोच है।
इससे पूर्व रवि ने भारती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कवि के पौत्र राजकुमार भारती और दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
इस बीच, स्टालिन ने डिजिटल माध्यम से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पुनर्निर्मित उनके घर का उद्घाटन किया, जहां भारती कभी रहते थे।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्टालिन ने पिछले साल घोषणा की थी कि वाराणसी में उनके आवास का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
इसे एक स्मारक में बदलने के लिए गृहस्वामी के साथ एक समझौता किया गया था और इसके एक हिस्से को राज्य सरकार द्वारा 18 लाख रुपये की लागत से पुनर्निर्मित किया गया, जहां भारती की एक प्रतिमा स्थापित की गई है।
राष्ट्रीय कवि, उनके कार्यों के बारे में तस्वीरें और एक छोटा सा पुस्तकालय भी स्थापित किया गया हैं।
भारती के भतीजे प्रोफेसर केदार वेंकटकृष्णन और कुछ अन्य रिश्तेदार इस अवसर पर उपस्थित थे।
भारती का जन्म 11 दिसंबर, 1882 को तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के एट्टापुरम में हुआ था।