छत्तीसगढ़ सरकार ने रमन सिंह नीत पूर्ववर्ती सरकार के दौरान रायपुर में आंशिक रूप से बने स्काई वॉक की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा से कराने का फैसला किया है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य शासन ने स्काई वॉक निर्माण प्रकरण में प्रथम दृष्टया अनियमितता पाए जाने पर इसकी जांच का मामला एसीबी और ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि स्काई वॉक निर्माण में प्रथम दृष्ट्या कुछ अनियमितताएं सामने आयी हैं।
उन्होंने बताया कि 77 करोड़ रुपये की परियोजना का जान-बूझकर दो बार में प्राक्कलन तैयार किया गया जिससे परियोजना निर्माण और कार्यान्वयन समिति (पीएफआईसी) से मंजूरी की आवश्यकता न रहे। पीएफआईसी के माध्यम से किसी भी परियोजना के जनहित के संबंध में परीक्षण किया जाता है, जो कि स्काई वॉक निर्माण प्रकरण में नहीं किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन 2018 की अधिसूचना जारी रहने के दौरान ही लोक निर्माण विभाग द्वारा पुनरीक्षण प्रस्ताव तैयार कर पांच दिसम्बर 2018 को वित्त विभाग को भेजा गया, जो आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
स्पष्ट है यह कार्य विभाग के पदाधिकारियों और ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है।
उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा स्काई वॉक निर्माण की प्रथम निविदा चार फरवरी 2017 को जारी की गयी तथा निविदा प्रस्तुत करने के लिए मात्र 15 दिनों का समय दिया गया। चार फरवरी तक प्रकरण में वित्त विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति भी प्राप्त नहीं हुई थी।
15 दिनों मात्र की निविदा के लिए कोई आवश्यकता और औचित्य नहीं दर्शाया गया है, न सक्षम स्वीकृति प्राप्त की गई है।
रायपुर में स्काईवॉक का निर्माण पिछली भाजपा सरकार के दौरान शुरू हुआ था। दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, सरकार ने स्काईवॉक के निर्माण को रोक दिया। राज्य में कांग्रेस सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने या आंशिक रूप से निर्मित ढांचे को ध्वस्त करने के बारे में जनता की राय मांगी थी।