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हिमाचल विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, भाजपा का बहिर्गमन

हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई, जबकि धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन से बहिर्गमन किया।
धन्यवाद प्रस्ताव बृहस्पतिवार को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद स्वीकृत हुआ था।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने शुक्रवार को सदन के नियमों का हवाला देते हुए भाजपा सदस्यों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नारेबाजी करते हुए बाहर चले गए।

विपक्ष में बैठी भाजपा ने कहा कि बहस में भाग लेने के लिए विपक्ष के तीन और सत्ता पक्ष के चार सदस्यों के नाम तय किए गए थे, लेकिन बाद में अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के और सदस्यों के नाम जोड़े।
पठानिया ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के पास निर्णय लेने की विशेष शक्ति होती है और उन्होंने चर्चा के बाद ही अन्य सदस्यों को बोलने की अनुमति दी थी।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी सदस्यों से सदन की कार्यवाही सौहार्दपूर्ण वातावरण में चलने देने का आग्रह किया।
जब भाजपा सदस्य सदन से चले गए, तो मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उन्हें पहले से ही आभास था कि विपक्ष बहिर्गमन करेगा। ‘‘विपक्ष सिर्फ बोल सकता है, सुन नहीं सकता।’’

विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई और 14वीं विधानसभा के तीन दिवसीय पहले सत्र के दौरान कुलदीप सिंह पठानिया को अध्यक्ष चुना गया, इस दौरान भाजपा ने दो बार बहिर्गमन किया।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर को अपने ससुर की मृत्यु के कारण राजस्थान के लिए रवाना होने के कारण सत्र छोड़ना पड़ा, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली गए थे।
धन्यवाद प्रस्ताव संजय रतन (कांग्रेस) द्वारा पेश किया गया और चंद्रशेखर (कांग्रेस) द्वारा अनुमोदित किया गया।

चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने सीमेंट उद्योग से अपने संयंत्र ठीक से चलाने और लोगों को उनका हक देने का भी आग्रह किया।
मुकेश अग्निहोत्री ने पिछली भाजपा सरकार पर राज्य को कर्ज में धकेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 27,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जिसके कारण राज्य पर कुल 75,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश पर भारी कर्ज का बोझ डालने के लिए भाजपा सरकार को जनता से माफी मांगनी चाहिए।

लगभग 900 संस्थानों को गैर-अधिसूचित करने के सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन संस्थानों को क्रियाशील बनाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन पिछली सरकार द्वारा इस संबंध में कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया गया था।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि लोगों ने भाजपा को खारिज कर दिया है और उसे इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए और अपना रवैया बदलना चाहिए।

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