मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि उनके पूर्व पार्टी सहयोगी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ग्वालियर क्षेत्र में भी ‘‘राजनीतिक तौर पर बेमानी’’ हो गए हैं।
कमलनाथ ने विश्वास जताते हुए कहा कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में विजयी होगी।
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले अपने समर्थक विधायकों के साथ सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो जाने से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी।
कमलनाथ ने सवाल किया, ‘‘ जब सिंधिया भाजपा में हैं तो पिछले साल ग्वालियर और उससे सटे शहर मुरैना में महापौर का चुनाव कांग्रेस से क्यों हारे।’’
कांग्रेस नेता कमलनाथ एक कार्यक्रम में प्रदेश के राजधानी भोपाल से लगभग 270 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ में थे।
जुलाई 2022 में तत्कालीन सिंधिया रियासत की राजधानी ग्वालियर में कांग्रेस ने 57 साल बाद महापौर का चुनाव जीता था। इसके साथ ही मुरैना में भी कांग्रेस ने महापौर पद पर जीत दर्ज की।
सिंधिया के कांग्रेस से भाजपा में जाने से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में इसके संभावित प्रभाव के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि यदि सिंधिया इतने महत्वपूर्ण होते तो भाजपा को उनके क्षेत्र ग्वालियर, मुरैना अंचल में पराजय नहीं देखनी पड़ती। उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी सिंधिया की जरुरत नहीं है।’’
नाथ ने सवाल किया था कि ‘‘अगर सिंधिया इतनी बड़ी तोप थे तो भाजपा ग्वालियर और मुरैना में स्थानीय निकाय चुनाव क्यों हार गई।’’
नाथ पर निशाना साधते हुए सिंधिया समर्थक और प्रदेश के मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि सिंधिया एक ‘‘मिसाइल’’ हैं जिन्होंने 2018 के चुनावों में कांग्रेस को सत्ता में लाया और यह भी सुनिश्चित किया कि यह (कांग्रेस सरकार) मार्च 2020 में गिर जाए।
सिसोदिया ने कहा, ‘‘ सिंधिया तोप नहीं बल्कि एक मिसाइल हैं। यह मिसाइल 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत की ओर ले जाएगी।’’
कमलनाथ और सिंधिया ने मध्य प्रदेश विधानसभा के 2018 के चुनावों में एक साथ प्रचार किया था जिसमें कांग्रेस ने 15 साल बाद भाजपा को मामूली अंतर से हराया था। हालांकि, सिंधिया और उनके समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से मार्च 2022 में कमलनाथ को पद छोड़ना पड़ा था और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बन गई थी।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने तब अपनी सरकार को बचाने के प्रयास क्यों नहीं किए तो कमलनाथ ने दोहराया कि वह ‘‘सौदे के बल’’ पर सरकार नहीं चलाना चाहते थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सत्ता में फिर से वापसी करेगी और प्रदेश में किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरु करेगी।
कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के लंबे कार्यकाल के बावजूद, टीकमगढ़ सहित बुंदेलखंड में बेरोजगारी, पलायन और सूखे से संबंधित समस्याएं हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश में सत्ता में आती है तो वह बुंदेलखंड क्षेत्र को पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए विशेष तौर पर ध्यान देगी।