गत चैम्पियन बेल्जियम शुक्रवार को यहां पिछले दो चरण की उप विजेता नीदरलैंड को पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर एफआईएच पुरूष विश्व कप के फाइनल में पहुंची जिसमें उसका सामना जर्मनी से होगा।
मौजूदा ओलंपिक चैम्पियन बेल्जियम और नीदरलैंड कलिंग स्टेडियम में सेमीफाइनल में नियमित समय में 2-2 की बराबरी पर रहीं जिससे फैसला शूटआउट से हुआ। उम्रदराज खिलाड़ियों की बेल्जियम को नीदरलैंड की युवा टीम ने कड़ी टक्कर दी लेकिन अनुभवी गत चैम्पियन शूटआउट में विजेता रही।
बेल्जियम में 11 खिलाड़ी 30 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं जबकि नीदरलैंड में आठ खिलाड़ी 25 साल के कम के हैं और दो खिलाड़ी ही 30 साल से ऊपर हैं।
बेल्जियम के लिये नियमित समय में स्टार स्ट्राइकर टॉम बून (27वें मिनट) और निकोलास डि कर्पल (45वें मिनट) ने गोल किये जबकि नीदरलैंड की ओर से गोल पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ जिप यानसेन ने 12वें और 36वें मिनट में दागे।
इससे पहले स्टार ड्रैग फ्लिकर गोंजालो पिलाट की दूसरे हाफ में हैट्रिक से जर्मनी ने दो गोल से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 4-3 से हराकर पांचवीं बार फाइनल में प्रवेश किया।
पिलाट ने 43वें, 52वें और 59वें मिनट में पेनल्टी कार्नर से गोल किये, जबकि ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ निकलास वेलेन (60वें) ने मैच खत्म होने से चंद सेकेंड पहले गोल कर ऑस्ट्रेलिया के खेमे को हतप्रभ कर दिया।
ऑस्ट्रेलिया की टीम मध्यांतर तक 2-0 से आगे थी। टीम के लिए जेरेमी हेवर्ड (12वें), नाथन एफ्राम्स (27वें) और ब्लेक गोवर्स (58वें) ने गोल किए। ऑस्ट्रेलिया अब रविवार को कांस्य पदक का मुकाबला खेलेगा।
जर्मनी की टीम ने लगातार दूसरे मैच में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए जीत दर्ज की है।
क्वार्टर फाइनल मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 0-2 से पिछड़ने के बाद इस टीम ने आखिरी तीन मिनट में दो बार गोल करके स्कोर बराबर किया और फिर पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनायी।
दो बार के चैंपियन जर्मनी ने नयी दिल्ली में 2010 सत्र के बाद पहली बार फाइनल में अपनी जगह पक्की की। तब टीम खिताबी हैट्रिक पूरा करने से चूक गयी थी। यह टीम 2002 और 2006 में चैम्पियन बनी जबकि 1982 में भी रजत पदक जीता था।
जर्मनी ने इसके साथ ही तोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से मिली 1-3 की हार का बदला भी ले लिया।
तीन बार के चैंपियन ऑस्ट्रेलिया लगातार दूसरी बार फाइनल में जगह बनाने से चूक गया। टीम 2018 में इसी चरण में नीदरलैंड से हार गयी थी और कांस्य पदक जीता था। इससे पहले वे 2010 और 2014 में लगातार दो बार खिताब जीतने में सफल रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया 42वें मिनट तक 2-0 से आगे चल रहा था और ऐसा लग रहा था कि मैच का परिणाम उनके पक्ष में रहेगा। अर्जेंटीना के लिए 100 से अधिक मैच खेलने वाले पिलाट ने हालांकि इसके बाद मैच का रुख बदल दिया।
अर्जेंटीना को 2016 ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पिलाट अब जर्मनी के नागरिक है।
उन्होंने आखिरी 18 मिनट में मैच का रुख ऑस्ट्रेलिया से जर्मनी की तरफ कर दिया।
ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे पेनल्टी कार्नर से 12वें मिनट में बढ़त बना ली। इस गोल से जेरेमी हेवर्ड ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ियों की सूची में शीर्ष पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली।
नाथन ने इसके बाद 26वें मिनट में टीम की बढ़त को दोगुना कर दिया।
दूसरे हाफ में जर्मनी के खिलाड़ियों ने आक्रामक रूख अपनाया और लगातार पांच पेनल्टी कॉर्नर हासिल किये।
पिलाट ने इसमें से एक को गोल में बदल कर मैच में टीम की वापसी करायी। उन्होंने दिन के 12वें पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदल कर 51वें मिनट में स्कोर 2-2 से बराबर कर दिया।
आखिरी के तीन मिनट में मैच में कई बार उतार-चढ़ाव देखने को मिले। ग्रोवर्स ने 58वें मिनट में गोल कर ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से आगे कर दिया लेकिन अगले ही मिनट में पिलाट ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदल कर स्कोर 3-3 से बराबर कर दिया।
मैच में जब 20 सेकेंड से भी कम समय बचे थे तब वेलेन ने गेंद को ऑस्ट्रेलियाई गोल पोस्ट में डाल कर टीम को यादगार जीत दिला दी।