कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए रविवार को होने वाली गुजरात सरकार की प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नपत्र लीक हो जाने के कारण रद्द कर दी गई। यह परीक्षा शुरू होने के कुछ घंटे पहले रद्द की गई। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
अधिकारियों ने कहा कि गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने वड़ोदरा से इस संबंध में 15 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
कनिष्ठ लिपिक के 1,181 पदों के लिए राज्य भर के 2,995 केंद्रों पर होने वाली परीक्षा के वास्ते 9.53 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड ने एक बयान में कहा कि पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर एक संदिग्ध को हिरासत में लिया और रविवार सुबह होने वाली परीक्षा के प्रश्नपत्र की एक प्रति बरामद की, जिसके बाद गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड (जीपीएसएसबी) ने उम्मीदवारों के व्यापक हित में परीक्षा को स्थगित करने का फैसला किया।
राज्य पंचायत विभाग के विकास आयुक्त संदीप कुमार ने पत्रकारों को बताया कि परीक्षा अगले 100 दिन में आयोजित की जाएगी।
गुजरात एटीएस के एक अधिकारी ने कहा कि वड़ोदरा से इस सिलसिले में 15 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया क्योंकि एजेंसी पिछले कुछ दिनों से संदिग्धों पर कड़ी नजर रख रही थी। उन्होंने कहा कि राज्य एटीएस ने इसके लिए काफी सक्रिय रुख अपनाया, ताकि परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित हो सके।
गुजरात एटीएस के पुलिस अधीक्षक सुनील जोशी ने कहा, ‘‘हमने 15 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। वे एक संगठित गिरोह का हिस्सा हैं, जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय है।’’
बोर्ड ने अभ्यर्थियों को हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया और घोषणा की कि परीक्षा जल्द से जल्द नए सिरे से आयोजित की जाएगी, जिसके लिए बोर्ड एक नया विज्ञापन जारी करेगा।
इस बीच, रविवार को दूर-दराज के क्षेत्रों से परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे अभ्यर्थियों ने घटनाक्रम पर रोष जताया।
पुलिस के अनुसार, कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्यों ने सड़कों को जाम कर दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पुलिस के अनुसार उनमें से कई को राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिरासत में लिया गया।
कुछ नाराज अभ्यर्थियों ने पेपर लीक के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
व्यवस्था बनाए रखने के लिए परीक्षा केंद्रों और बस स्टैंड पर पुलिस की तैनाती की गई।
इस संबंध में एक अभ्यर्थी ने कहा, ‘‘नियमित रूप से हो रही पेपर लीक की घटनाओं के कारण अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर असहाय और अनिश्चित महसूस करते हैं। सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। हम दूर-दराज से यात्रा करके और दिक्कतों के बीच यहां तक पहुंचे और पता चला कि परीक्षा रद्द कर दी गई है।’’
पंचायत विभाग के विकास आयुक्त संदीप कुमार ने कहा कि स्थगित प्रतियोगी परीक्षा अब अगले 100 दिन में होगी। उन्होंने कहा कि जीपीएसएसबी जल्द ही अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तारीखों के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं की तारीखों को ध्यान में रखते हुए नयी परीक्षा तिथि की घोषणा करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘बोर्ड द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि अगली परीक्षा के लिए अभ्यर्थी अपने पहचान पत्र (कॉल लेटर/हॉल टिकट) के आधार पर परीक्षा केंद्रों से आने-जाने के लिए गुजरात राज्य परिवहन की बसों में नि:शुल्क यात्रा कर सकेंगे।’’
कुमार ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, बोर्ड ने 21,000 पदों को भरने के लिए 30 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को शामिल करते हुए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन परीक्षाओं में पूरी सुरक्षा, सतर्कता और देखभाल के साथ पारदर्शी तरीके से अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।’’
राज्य में विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
आप की गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने मांग की कि सरकार राज्य में पेपर लीक मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करे।
गढ़वी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एसआईटी के अलावा, हम मांग करते हैं कि सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेपर लीक के खिलाफ एक सख्त कानून लाए। सरकार को प्रति अभ्यर्थी 50,000 रुपये का मुआवजा देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनसे फिर से फीस नहीं ली जाए।’’
गुजरात विधानसभा का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू होगा।
कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने दावा किया कि प्रश्नपत्र लीक होने के कारण पिछले 12 वर्षों में ऐसी 15 प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित की गई हैं।
उन्होंने दावा किया कि कनिष्ठ लिपिक परीक्षा, जिसके लिए पहला विज्ञापन 2016 में जारी किया गया था, तीसरी बार रद्द कर दी गई।
पिछले महीने हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को कांग्रेस और आप के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था।
राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो प्रश्नपत्र लीक के खिलाफ सख्त कानून लाने के लिए दस साल की सजा का प्रावधान करने का वादा किया था।