केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि देश में सहकारिता क्षेत्र को व्यवस्थाओं में सुधार के लिए आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है और इस कवायद को केंद्र का पूरा समर्थन मिलेगा।
मीडिया समूह ‘सकाल’ द्वारा आयोजित दो दिवसीय सहकार सम्मेलन में शाह ने महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों की संख्या में गिरावट और निजी चीनी मिलों की संख्या में वृद्धि की ओर भी संकेत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक क्रेडिट सोसाइटियों, शहरी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों का संबंध है, बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। हमने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ कई बैठकें कीं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन सभी संस्थानों को किसी भी अन्याय का सामना न करना पड़े।’’
देश के पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि वह इन संस्थानों की समस्याओं से अवगत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं महाराष्ट्र के बारे में बात करूंगा क्योंकि मैं महाराष्ट्र में हूं। महाराष्ट्र में 202 सहकारी चीनी मिलें थीं। आज यह संख्या घटकर 101 रह गई है। राज्य में 22 निजी चीनी मिलें थीं, लेकिन अब यह बढ़कर 93 हो गई हैं। सहकारिता क्षेत्र को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है।’’
उन्होंने इस क्षेत्र में सुधार लाने वाले सभी मुद्दों पर केंद्र के सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि ऐसी सहायता प्राप्त करने के लिए उन इकाइयों को ठीक से काम करना होगा।
शाह ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र के अनुरूप किसी भी संस्थान के साथ किसी तरह का अन्याय न हो।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि-वित्त प्रदान करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देशभर में दो लाख से अधिक प्राथमिक कृषि ऋण समितियां स्थापित करने की आवश्यकता है।