टोक्यो के इतिहास में 20 मार्च की तारीख काला दिन के नाम से दर्ज है। इसी दिन आज से कई वर्षों पहले यानी 1995 में जापान में कुछ ऐसा हुआ था जिसकी आम आदमी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इसी दिन कुछ लोगों ने कैमिकल गैस से एक सबवे स्टेशन में ट्रेन में हमला कर दिया था। ये हमला किसी गोली या बारुद के दम पर नहीं किया गया था बल्कि गैस के जरिए हुआ था, जिसमें काफी नुकसान हुआ था।
मामला वर्ष 1995 का जब 20 मार्च को जापान की राजधानी में मेट्रो ट्रेन पर हमला हुआ था। टोक्यो के सबसे मजबूत सब-वे सिस्टम मेट्रो में इस हमले को अंजाम दिया गया था। ये हमला शोको असहारा नाम के बाबा के कहने पर उनके शिष्यों ने किया था। इस हमले को टोक्से सबवे मास मर्डर या सरीन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। इस हमले में आरोपी बाबा ने मेट्रो में सरीन गैस का उपयोग कर हमला किया था।
इस हमले को अंजाम देने के लिए सनकी बाबा ने गैस लीक करने वाले कंटेनरों को कुल पांच ट्रेनों में रखवाया था। इन कंटेनरों में छाते की मदद से छेद किए गए जिसके बाद जहरीली गैस बाहर निकली और लोगों को खांसी, उलटी की समस्या होने लगी थी। लोग गंभीर हालत में स्टेशनों से बाहर निकले थे, जिसके बाद उन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया था।
इस हमले का मुख्य आरोपी था एक बाबा, शोको असहारा जिसे घटना के दो महीने के बाद गिरफ्तार किया गया था। उसके शीष्यों की पहचान कर उन्हें भी गिरफ्तार किया था। ये घटना इतनी भयानक थी कि इसका असर आज भी देखा जाता है। इस घटना में जहां 13 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी, वहीं 5500 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस गैस के कारण लगभग एक हजार से अधिक लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।
बता दें कि सरीन गैस सबसे घातक कैमिकल्स में शामिल है। इसका असर व्यक्ति के सांस लेने की क्षमत पर होता है जिस कारण व्यक्ति की दम घुटने से मौत हो जाती है। कहा जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी इस गैस का उपयोग दुश्मनों का खात्मा करने के लिए नाजियों ने किया था।