मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंध शताब्दियों पुराने हैं।
योगी ने कहा कि आधुनिक युग में भारत और दक्षिण कोरिया के राजनितिक संबंध के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं, लेकिन वास्तव में भारत और दक्षिण कोरिया के आध्यात्मिक संबंध शताब्दियों पुराने हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की खुशहाली की प्रार्थना जब भिक्षु संघ या हमारे संत करते हैं तो वह निश्चित ही फलीभूत होती है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को भारत-दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरा होने पर कोरिया जोग्ये भिक्षु संघ के अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस दौरान योगी ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया की स्वतंत्रता की तिथि 15 अगस्त है और वर्तमान में भारतवासी अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के उपरांत अमृत काल के प्रथम वर्ष में प्रवेश किये हैं।
एक बयान के मुताबिक आदित्यनाथ ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के संस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध शताब्दियों पुराने हैं।
उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के घर में आए हैं। कोरिया के ध्यान पंथ श्योन की उत्पत्ति श्रावस्ती के जैतवन से हुई है।
उन्होंने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी ने जलमार्ग से दक्षिण कोरिया की यात्रा की थी, जहां उनका विवाह राजा किम सुरो के साथ हुआ था। वहां उनका नाम हू वांग आंक पड़ा। उन दोनों से कड़क वंश की स्थापना हुई। वर्तमान समय में दक्षिण कोरिया में एक बड़ी आबादी इसी वंश से जुड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी के समीप सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक 25 वर्षावास श्रावस्ती में व्यतीत किया था। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में पवित्र बौद्ध स्थल श्रावस्ती, कपिलवस्तु, देवदह, कुशीनगर, संकिशा, ललितपुर, देवगढ़, आई छत्र बरेली और कौशांबी बौद्ध हैं।
बयान के मुताबिक कार्यक्रम में जोग्ये भिक्षु संघ के नायक जोस्यून, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत अमित कुमार, भारत में दक्षिण कोरिया के उप राजदूत सांग हो लिम, इंटरनेशनल इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के उप महासचिव, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु मौजूद थे।