खालिस्तान समर्थक कट्टर अलगाववादी अमृतपाल सिंह अपना आतंकी संगठन खड़ा करने के लिए पूर्व सैनिकों और नशे की लत वाले युवाओं को लुभाने का प्रयास कर रहा था। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यहां यह जानकारी दी।
पाकिस्तान की ‘इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस’ (आईएसआई) के इशारे पर अमृतपाल की यात्रा और योजनाओं के बारे में विवरण देते हुए अधिकारियों ने कहा कि अमृतपाल ने दुबई से लौटने पर अमृतसर जिले के अपने गांव जल्लूपुर खेड़ा में एक नशा मुक्ति केंद्र शुरू किया।
अधिकारियों ने बताया कि अमृतपाल ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऐसे पूर्व सैनिकों की तलाश शुरू कर दी, जो खराब व्यवहार के लिए सेना से सेवानिवृत्त किए गए थे, ताकि उन्हें हथियार प्रशिक्षण देने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
उन्होंने बताया कि पिछले साल भारत लौटने और अभिनेता दीपसिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल ने संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ की कमान संभाली। अधिकारियों ने बताया कि तब उसके पास दो निजी सुरक्षाकर्मी थे, जबकि इस साल की शुरुआत में निजी सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़कर 16 तक पहुंच गई।
उन्होंने बताया कि आश्चर्य की बात यह थी कि अमृतपाल के सात निजी सुरक्षाकर्मी युवा थे, जो उसके नशामुक्ति केंद्र पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि नशामुक्ति केंद्र में रहने के दौरान इन युवाओं को प्रशिक्षित किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि नशामुक्ति केंद्र में पहुंचे युवकों को बरगलाया गया और उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही ऐसे युवकों को मारे गए आतंकी दिलावर सिंह का रास्ता चुनने के लिए भी उकसाया गया, जिसने आत्मघाती हमले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी।
उन्होंने कहा कि खराब व्यवहार के चलते सेवानिवृत्त किए गए पूर्व सैनिकों को निशाना बनाना अलगाववादी अमृतपाल सिंह के लिए काफी फायदेमंद था, क्योंकि इनके पास पहले से ही शस्त्र लाइसेंस था, जिससे उसका संगठन कानून के शिकंजे से बच सकता था।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसे दो पूर्व सैनिकों – वरिंदर सिंह और तलविंदर सिंह – ने उन युवाओं को हथियार प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, जो नशामुक्ति केंद्र पहुंचे थे।