राजस्थान में स्वास्थ्य के अधिकार (आरटीएच) विधेयक को लेकर निजी और कुछ सरकारी डॉक्टरों के दो सप्ताह से अधिक के तीव्र विरोध के बाद वे राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर पहुँचे। विशेष रूप से विधेयक के तहत आने वाले निजी अस्पतालों पर मंगलवार को अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया। अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है। मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी।
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इससे पहले दिन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) राजस्थान, प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसाइटी (PHNHS), और यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल्स ऑफ़ राजस्थान (UPCHAR) का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य सरकार के साथ आठ सूत्री समझौते पर पहुँचा। आईएमए राजस्थान के अध्यक्ष सुनील चुघ ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि अब 98 प्रतिशत निजी अस्पताल इससे बाहर आ गए हैं, तो हमें अब विरोध क्यों जारी रखना चाहिए।
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समझौते के अनुसार यह नोट किया गया कि स्वास्थ्य मंत्री ने पहले ही 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर कर दिया है। दूसरा, रियायती दर पर भूमि और भवन के रूप में सरकार से कोई सुविधा लिए बिना स्थापित सभी निजी अस्पतालों को भी आरटीएच अधिनियम से बाहर रखा जाएगा।
मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी।#RightToHealth
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 4, 2023